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भारतीय जनता पार्टी को उसके ही उस अस्त्र से शिकस्त देने का कांग्रेस ने तानाबाना बुना है जो कि अभी तक उसका मुख्य चुनावी अस्त्र रहा है। कांग्रेस ने 23 सितम्बर से 09 अक्टूबर तक राम वनगमन पथ-यात्रा निकालने का ऐलान किया है तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मंशा के अनुसार उसने नर्मदा यात्रियों की सुविधा के लिए पथ बनाने और अन्य सुविधाओं को सुलभ कराने का वचन भी दिया है। भाजपा के हिंदुत्व कार्ड के प्रत्युत्तर में कांग्रेस ने उदार हिंदुत्व का सहारा लिया है और वह यह भी कह रही है कि मध्यप्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में कांग्रेस सरकार बनने पर विकसित करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ प्रत्येक पंचायत में गौ-शाला निर्माण का भी वायदा कर चुके हैं। कांग्रेस का असली मकसद उन मुद्दों पर भाजपा को घेरने का है जो भाजपा और संघ के कोर एजेंडे में शामिल रहे। कांग्रेस ऐसा करके यह बताना चाहती है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने घोषणाएं तो अनेकों कीं लेकिन कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया है। देखने वाली बात यही होगी कि क्या भगवान राम, गौमाता और नर्मदा मैया कांग्रेस की चुनावी नैया को पार लगा पायेंगे और 15 साल के सत्ता वनवास को समाप्त करने के उसके जो प्रयास हैं वह फलीभूत हो पायेंगे।
ऐसा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के इरादों से अनभिज्ञ है, उसकी तरफ से पलटवार करते हुए राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा है कि जिन्होंने राम को काल्पनिक बताया वे अब राम के नाम पर ढोंग कर रहे हैं और क्या राहुल गांधी इसके लिए माफी मागेंगे। जहां एक ओर कांग्रेस 2007 की घोषणा को लेकर शिवराज सिंह चौहान की सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है तो वहीं राजस्व मंत्री गुप्ता ने कहा है कि राम वनगमन पथ पर सरकार एक पुस्तक जारी करेगी। उनका आरोप है कि कांग्रेस राम वनगमन पथ के मुद्दे पर जनता को भ्रमित कर रही है और वह जो प्रचारित कर रही है वह सब झूठ है। इसके लिए एक समिति गठित की गयी थी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर 69 करोड़ रुपये से किए जाने वाले कार्यों के प्रस्ताव केन्द्र को भेजे गए हैं जिन्हें जल्द ही स्वीकृति मिल जायेगी। कांग्रेस इसी मुद्दे पर सरकार को घेरेगी कि उसने घोषणा के सिवाय कुछ नहीं किया। जवाब में अब सरकार को भी यह बताना होगा कि 2007 की घोषणाओं पर किस सीमा तक अमल हुआ है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का आरोप है कि भाजपा सत्ता में आने के लिए भगवान राम को हथियार के रूप में इस्तेमाल करती आई है, उनकी भावनाएं केवल वोट पाने तक ही सीमित हैं। गाय के नाम पर वह राजनीति करती है और मध्यप्रदेश में सरकार द्वारा आगर में बनाये गये देश के पहले गौ अभयारण्य में गायें भूख-प्यास से तड़प कर मर जाती हैं। ओझा का कहना है कि चित्रकूट में 2007 में मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि 25 हजार करोड़ रुपये की लागत से राम वनगमन पथ का निर्माण सरकार करेगी, परन्तु अन्य घोषणाओं की तरह यह भी जुमला साबित हुई है।
शोभा ओझा ने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मां नर्मदा की 3300 किमी की पैदल परिक्रमा की। उन्होंने यात्रा के दौरान महसूस किया कि परिक्रमा के तहत दुर्गम रास्तों पर चलने में बहुत अवरोध उत्पन्न होता है इसलिए कांग्रेस पार्टी ने तय किया है कि उसकी सरकार बनने पर नर्मदा परिक्रमा मार्ग का विकास किया जाएगा। परिक्रमा करने वाले यात्रियों के ठहरने के लिए जगह-जगह भक्त-निवास बनाने के साथ ही सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण को अपने वचनपत्र में शामिल करेगी। राम वनगमन पथ यात्रा के लिए कांग्रेस ने एक 40 सदस्यीय समिति का गठन चित्रकूट आश्रम के ट्रस्टी और सेमरिया निवासी पंडित हरिशंकर श्ाुक्ल की अध्यक्षता में किया है। इसमें कांग्रेस के 7 वर्तमान विधायकों सहित कांग्रेस के अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। कांग्रेस की कोशिश यह भी है कि इस यात्रा में कुछ साधु-संतों को भी साथ रखा जाए।
उल्लेखनीय है कि शिवराज सरकार ने राम वनगमन पथ चिन्हित करने और उसके विकास के लिए एक 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था जिसका एक प्रतिवेदन भी तैयार हुआ था और उस प्रतिवेदन के आधार पर कुछ घोषणाएं भी की गयी थीं। समिति के प्रवास व प्रतिवेदन आदि पर लगभग सवा दो करोड़ रुपये का खर्च आया था। राम वनगमन पथ विकास परिकल्पना का आगाज करते हुए शिवराज ने कहा था कि राम वनगमन पथ भारतीय परम्परा की रक्षा का पथ भी है। अयोध्या से श्ाुरू हुई यात्रा चित्रकूट के प्रवेश द्वार से ही भारत के हृदय प्रदेश में आती है। प्रदेश के पथों को श्रीराम, लक्ष्मण, जानकी ने तो पवित्र किया ही, इस पथ का अनुसरण करते हुए महात्मा गांधी ने भी भारतवर्ष के साधारणजनों को श्रीराम की महिमा से जोड़ा है। सरकार श्रीराम से जुड़ी लोक स्मृति की रक्षा करते हुए प्रदेश में राम वनगमन के पथों को शिक्षा, रोजगार और समृद्धि से जोड़ना चाहती है जिससे कि इस क्षेत्र के वनवासी और लोक-समाज सुखमय जीवन बिता सकें। दूसरी ओर कांग्रेस अब वचन दे रही है कि उसकी राम वनगमन पथ यात्रा जहां-जहां से भगवान राम गुजरे थे उन स्थानों को धार्मिक व पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर संरक्षित करने की है। इन क्षेत्रों में राम स्मृति संग्रहालय, रामलीला केन्द्र, नये गुरुकुल एवं आश्रमों को बनाना भी उसकी योजना में शामिल होगा। यात्रा को कांग्रेस धार्मिक यात्रा का भी रूप देना चाहती है इसीलिए इसका श्ाुभारंभ कामतानाथ जी के दर्शन से होगा और मार्ग में पड़ने वाले अन्य धर्मस्थलों में भी समिति के सदस्य मत्था टेकेंगे।
राम वनगमन पथ विकास के संदर्भ में जो घोषणाएं 2007 में राज्य सरकार ने की थीं उसके अनुसार पर्यटन विकास निगम ने चित्रकूट सिटी डेवलपमेंट की 41 करोड़ रुपये की योजना बनाई थी जिसके प्रथम चरण में 8 करोड़ रुपये की लागत से मुख्यरूप से मंदाकिनी नदी के घाटों के जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ किया गया था। चित्रकूट में कामदगिरि (कामतानाथ) परिक्रमा पथ का एक करोड़ 64 लाख रुपये की लागत से नवनिर्माण करना था जिसकी प्रदेश में लम्बाई 2.40 कि.मी. थी। चित्रकूट में सर्वसुविधा सम्पन्न रामायणम् परिसर का निर्माण तथा इस परिसर के लिए 20 एकड़ भूमि का चयन करने की योजना बनाई गयी थी। सतना से चित्रकूट टू-लेन और चित्रकूट से गोदावरी फोर-लेन सड़क निर्माण की योजना बीओटी मॉडल के तहत बनाना शामिल था। नागोद-कालिंजर मार्ग जिस पर किंवदंतियों के अनुसार राम चले थे उसका 26 करोड़ की लागत से निर्माण तथा लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये की लागत से सेमरावल नदी पर गौरैया घाट के पास पुल निर्माण की योजना के साथ ही चित्रकूट में देश का पहला लीला-गुरुकुल बनाना, जिसमें पारंपरिक रामलीला और कृष्णलीला के मंचन व लीला करने की विधियां, उनका संगीत और व्यास परम्परा के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना भी शामिल था। उस समय यह भी दावा किया गया था कि रामवन में जो कार्य प्रारंभ होकर लगभग पूर्णता की ओर हैं उन पर 185 लाख रुपये व्यय हो चुका है। शिवराज ने 11 साल पहले राम वनगमन मार्ग के विकास का बीड़ा उठाया था तो अब राम के दिखाये मार्ग पर कांग्रेस चलने की कोशिश कर रही है। चौदह साल के वनवास के दौरान मध्यप्रदेश के जिन रास्तों से श्रीराम गुजरे थे कांग्रेस उन्हीं रास्तों पर चलकर सत्ता से वनवास समाप्ति का मार्ग तलाश रही है। देखने की बात यही होगी कि क्या राम पथ, गौमाता तथा नर्मदा मैया के सहारे कांग्रेस का 14 साल के वनवास के बाद मध्यप्रदेश की सत्ता पर राजतिलक होगा या नहीं।
और यह भी
कांग्रेस राम वनगमन पथ और नर्मदा परिक्रमा पथ को आगे रखकर जो राजनीति करने जा रही है उसका एक मकसद अवैध उत्खनन के मुद्दे को भी हवा देना है, क्योंकि इन दोनों के इर्द-गिर्द बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन हो रहा है। दिग्विजय सिंह का आरोप है कि मुख्यमंत्री का परिवार नर्मदा नदी से अवैध रूप से रेत निकालता है। जहां तक राम वनगमन पथ का सवाल है अवैध उत्खनन किए जाने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा था। चित्रकूट के पास रामपथ मार्ग पर ही सरकार ने कुछ साल पहले खनिज की लीज दे दी थी, लेकिन कोर्ट में मामला जाने पर इस पर रोक लगा दी गयी थी। यह आरोप भी लगता रहा है कि राम वनगमन मार्ग के विकास की योजना खनिज माफिया के दबाव में ठंडे बस्ते में डाल दी गयी है। कांग्रेस अपनी राम वनगमन पथ यात्रा के दौरान पहाड़ों में हो रहे वैध व अवैध उत्खनन का मुद्दा भी जोरशोर से उठाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देगी। उसकी कोशिश यही होगी कि प्रदेश में हो रहा अवैध उत्खनन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बने।
#अरुण पटेल
लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं।
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