बेटी जब होश
संभालती है,
स्वछंद उड़ान
भरना चाहती है..
पापा-मम्मी
दादा-दादी
भाई-बहिन के
साथ घर में
खुशी से रहती है।
नाना-नानी,
मामा-मामी के
घर भी रहना
चाहती है,
हमजोली
बच्चों के साथ
खेलकर खुश
रहना चाहती है..
खुशियों की
उड़ान भरना
चाहती है।
पापा-मम्मी के
पास तो बच्चे,
हमेशा ही रहते हैं..
स्कूल की छुट्टियों
में जरूर बाहर
घूमना चाहते हैं,
पापा को तो
जल्दी छुट्टियाँ,
मिलती नहीं हैं..
मम्मी के साथ ही
पहले दादा-दादी
के घर जाते हैं।
दादा-दादी,
चाचा-चाची और
उनके बच्चों के
साथ खूब खेलते
मौज-मस्ती करते हैं..
कुछ दिन बाद
नाना-नानी
मामा-मामी के
घर जाते हैं।
गर्मी से बचकर,
घर के अन्दर ही
कभी कैरम कभी,
साँप-सीढ़ी
खूब खेलते हैं,
कभी वीडियो
गेम खेलते हैं,
बच्चों की पिक्चर
टीवीे देखते हैं..
कभी डाँस.
कभी ड्राइंग ..
अभ्यास भी सब
मिलकर करते हैं।
बस इस तरह सब,
बच्चे मिलकर
खुशियों की
उड़ान भरते हैं।
#अनन्तराम चौबे
परिचय : अनन्तराम चौबे मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहते हैं। इस कविता को इन्होंने अपनी माँ के दुनिया से जाने के दो दिन पहले लिखा था।लेखन के क्षेत्र में आपका नाम सक्रिय और पहचान का मोहताज नहीं है। इनकी रचनाएँ समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती हैं।साथ ही मंचों से भी कविताएँ पढ़ते हैं।श्री चौबे का साहित्य सफरनामा देखें तो,1952 में जन्मे हैं।बड़ी देवरी कला(सागर, म. प्र.) से रेलवे सुरक्षा बल (जबलपुर) और यहाँ से फरवरी 2012 मे आपने लेखन क्षेत्र में प्रवेश किया है।लेखन में अब तक हास्य व्यंग्य, कविता, कहानी, उपन्यास के साथ ही बुन्देली कविता-गीत भी लिखे हैं। दैनिक अखबारों-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। काव्य संग्रह ‘मौसम के रंग’ प्रकाशित हो चुका है तो,दो काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होंगे। जबलपुर विश्वविद्यालय ने भीआपको सम्मानित किया है।