डॉ.सायता को ‘काव्य-कुसुम’ की उपाधि भेंट 

0 0
Read Time1 Minute, 50 Second
chandra sayata
श्रीनाथद्वारा।
राजस्थान में श्रीनाथद्वारा के हिंदी सेवा के प्रखर साधक तथा पूर्ण समर्पित व्यक्तित्व स्व. भगवती प्रसाद देवपुरा की स्मृति में १९३७ से स्थापित संस्था साहित्य मंडल(श्रीनाथद्वारा) द्वारा इंदौर की साहित्यकार डॉ.चन्द्रा सायता को ‘काव्य कुसुम’ उपाधि से सम्मानित किया गया। आपको शाल-श्रीफल, उत्तरीय-कण्ठहार,श्रीनाथजी की मोती- जड़ित फ्रेम की हुई मूरत और समाकारीय फ्रेम प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया।
इस समारोह में डॉ.सायता ने स्वरचित सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ-साथ काव्यगोष्ठी में भी शिरकत की। समारोह में इंदौर से ही आमंत्रित अन्य साहित्यकारों डॉ.मीनाक्षी स्वामी( साहित्य कुसुमाकर),डॉ.सुधा चौहान( काव्य  कुसुम),डॉ.अंजुल कंसल(  साहित्य सौरभ),प्रतिभा श्रीवास्तव( साहित्य कुसुमाकर),इंदु पाराशर(काव्य कौस्तुभ),नयन कुमार राठी( साहित्य सौरभ)ओम उपाध्याय(साहित्य सौरभ) ,हरमोहनदास नेमा(साहित्य सौरभ) , श्रीमती अंजनी शर्मा ( साहित्य सौरभ) अश्विनी कुमार दवे (साहित्य सुधाकर)  तथा राकेश शर्मा (साहित्य सुधाकर)      को भी सम्मानित किया गया।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

खतरे में स्त्री नहीं,`स्त्री गुण`...

Wed Jan 10 , 2018
     प्रकृति के निर्माण में स्त्री और पुरूष दोनों का बराबर योगदान हैl चाहे मनुष्य हो,पशु-पक्षी हो या कोई भी जीव हो,हर जीव की सभ्यता का सृजन स्त्री और पुरूष दोनों की सहभागिता से संभव हुआ है,इसलिए किसी को भी कम आँकना बेमानी होगीl धर्म ग्रंथों में स्त्री और पुरूष […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।