खतरे में स्त्री नहीं,`स्त्री गुण`…

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shubham jayaswal

     प्रकृति के निर्माण में स्त्री और पुरूष दोनों का बराबर योगदान हैl चाहे मनुष्य हो,पशु-पक्षी हो या कोई भी जीव हो,हर जीव की सभ्यता का सृजन स्त्री और पुरूष दोनों की सहभागिता से संभव हुआ है,इसलिए किसी को भी कम आँकना बेमानी होगीl धर्म ग्रंथों में स्त्री और पुरूष दोनों को ही श्रेष्ठ माना गया है-`मातृ देवो भव` और `पितृ देवो भव` दोनों कहा गया हैl शरीर की एक विशेष संरचना के कारण हम किसी को स्त्री या पुरूष का नाम देते हैं,लेकिन वास्तव में देखा जाए तो दोनों में ही स्त्रैण गुण और पौरुष गुण मौजूद होते हैं।
ईश्वर ने स्त्री और पुरुष के निर्माण के साथ दोनों के कार्यों को भी बाँट दिया था,परन्तु आज समानता के चक्कर में स्त्री पर अपने मूल रूप को छोड़कर `पुरूष जैसा` बनने का भूत सवार है,और इस समानता का पैमाना आर्थिक सुदृढ़ता बना दी गई हैl खुशहाल जीवन जीने के लिए पैसे के अलावे भी बहुत कुछ मायने रखता हैl नारी सशक्तिकरण के लिए जरूरी नहीं कि,उन्हें सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाएl नारी खुद एक `शक्ति` है,इसलिए जरूरी है कि नारी अपने `स्त्रीत्व गुण` को निखारें,जिससे शक्तिकरण खुद आ जाएगाl स्त्री अपनी महत्ता को समझ नहीं पा रही है,शायद इसलिए वो पुरूषों को श्रेष्ठ समझकर पुरूषों की दौड़ में शामिल हो रही हैl मैं ये नहीं कहता हूँ कि,स्त्री को शिक्षा या रोजगार से वंचित रखा जाए,परन्तु इस सबके कारण अपने स्त्री गुण को भूल जाना ये गलत हैl स्त्री को पुरूषों के बराबर करने के बजाय बराबर मौके मिलने चाहिए,क्योंकि बराबर करने का सीधा मतलब है स्त्री को कम आँकना,जबकि दोनों अपने-आप में विशेष हैं।
हर वर्ष `महिला दिवस` मनाया जाता है,जिसका उद्देश्य स्त्री का अस्तित्व बचाना होता है,लेकिन वास्तव में महिला का अस्तित्व कभी खत्म नहीं हो सकताl महिला का अस्तित्व खत्म होने का अर्थ मानव का अस्तित्व खत्म होना है और पुरूष कभी नहीं चाहेगा स्त्री का अस्तित्व खत्म होl हाँ,भ्रूण हत्या करने जैसी अमानवीय मानसिकता के खिलाफ जागरूकता लानी चाहिएl भ्रूण हत्या भी स्त्रियों को पुरूषों से कमतर समझने के कारण होने वाली घटना हैl   लोग अगर स्त्री के महत्व को समझें,तो ये काम स्वतः समाप्त हो सकता है।
देखा जाए तो स्त्री न कभी खतरे में थी,और न है..खतरे में `स्त्रैण गुण` है,जो स्त्री अनजाने में खोती जा रही है और इसे बचाना ही बड़ी चुनौती है।

#शुभम कुमार जायसवाल 
परिचय: शुभम कुमार जायसवाल की जन्मतिथि-२ जून १९९९ और जन्मस्थान-अजमाबाद(भागलपुर, बिहार)है। आप फिलहाल राजनीति शास्त्र से स्नातक में अध्ययनरत हैं। उपलब्धि यही है कि,छोटी कक्षा से ही छोटी-छोटी कविताएं लिखना,विभिन्न समाचार पत्रों में कई कविताएँ प्रकाशित और दसवीं की परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दो दैनिक पत्रों द्वारा सम्मानित किए गए हैं। रुचि से लिखने वाले शुभम कुमार को सामाजिक क्षेत्र में कार्य के लिए पटना में विधायक द्वारा सम्मानित किया गया है। इनकी कविताएँ कुछ समाचार-पत्र में प्रकाशित हुई हैं। लेखन का उद्देश्य-समाज का विकास,सबको जागरुक करना एवं आत्मिक शांति है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।