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पल-पल नव बीते,
बीते नव दिवस अरु रात।
सप्ताह बावन बीत गए,
बीत गए बारह मास॥
फिर आया नव बरस,
नव पर नव परभात।
हँसी-ख़ुशी अरु आनन्द लिए,
मन में अति उल्लास॥
प्रभु की मेहर बनी रहे,
घर-घर हो शांति का वास।
प्राकृतिक प्रकोप से रक्षा करे,
विनती करें दशरथ दास॥
उन्नति हो हर शख्स की,
हर शख्स में हो भाईचारा।
नारी की आबरू बची रहे,
जग में ‘छा’ जाए हिंदुस्तान हमारा॥
#दशरथदास बैरागी
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