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नीले नभ में चाँद चकोर
विखेरे सौन्दर्य अनमोल
टिमटिमाते ढेरों सितारे
टुकटुक देखे नयन हो रहे विभोर।
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शीतलता विखेरे चाँदनी
धरती आँचल फैला करे शोर
तरूवर की लता नाच रहे
वायु जब चले चहुँ ओर।
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मुग्ध कर रही मनोरम दृश्य
उन्मुक्त हो बनी रहे सुन्दरता
आजादी की प्रवाह है
चाँद तेरी चाँदनी और शीतलता।
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बादलो में जब छिपती
उदास हो जाता हूँ मैं
पर क्या मालूम आँख मिचोली
भी खूब सौन्दर्य बिखराती ।
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देखकर तेरी शरारत आज
बचपन की याद दिलाती
कभी बचपन मे इसी तरह
लुका छिपी खेली जाती ।
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“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति