कण कण में राधारमण,जमनाजल का पान। चेतन वल्लभ साधना,गाया है रसखान।। जयजय भूमी जय ब्रज मंडल। जमना पूजन नीर कमंडल।।1 चौरासी परिकम्मा करते । जीवन धन्या श्याम सुमरते।।2 पैदल चलते कर फलहारी।। बिनु पादुक से महिमा भारी।।3 सादा खाते नीचे सोते। संतो जैसा जीवन जीते।।4 पल पल बोलें राधे राधे। […]
dashrath
आगर के उत्तर बसे,बैजनाथ भगवान। मनोकाम पूरण करें, सदा संवारे काम।। ऊपर मंगलनाथ है,खेड़ापति के पास।। मोपे किरपा कीजिये,एक तुम्हारी आस।। रत्ना मोती सुंदर सागर। धन्य भूमी है माता आगर।।१ मध्यदेश की थी रजधानी। नवम सदी इतिहास बखानी।।२ अचलेश्वर मां तुला भवानी। भेरु केवड़ सबके स्वामी।।३ जय जय बैजनाथ भगवाना। […]