क्यों न करती मैं जीवन अर्पण

1 0
Read Time1 Minute, 45 Second

varsha shrivastav
भर लो अपने अंक में,
उतर जाओ प्राण में भी
तुम ही मेरी स्वांस हो,
तुम ही जीवन आधार प्रियतम।
मेरे दृग निर्झर से बहते,
कातर स्वर में विनती करते
ईश नहीं क्या रचा है तूने,
इस वर्षा का कोई गेह घन।
शून्य में मैं ताकती थी,
शायद तुमको खोजती थी
पूछती थी आद्र चितवन,
हो कहाँ तुम मेरे संगम।
सबने मुझको बहुत छला है,
कण-कण में मुझको तोड़ा है
तुमने आकर मुझे समेटा,
ऋणी रहेगा मेरा ये मन।
अम्बर में जैसे सूर्य है जलता,
वैसे मेरा हृदय था तपता
तुमने आकर सिंधु उलीचा,
क्यों न करती मैं जीवन अर्पण।।

           #वर्षा श्रीवास्तव ‘अनिदया’

परिचय:वर्षा श्रीवास्तव की जन्म तारीख १६ मार्च १९८७ और जन्म स्थान मुरैना(मध्यप्रदेश) है। लेखन में आप `उपनाम-अनीद्या` उपयोग करती हैं। आपकी शिक्षा-बी.एस-सी. तथा एम.बी.ए. है। मुरैना में गोपाल पुरा में आपका निवास हैl विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है। सम्प्रति से आप महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक हैं। सामाजिक क्षेत्र में लेखन से ही आपकी पहचान है।आपकी लेखन विधा-छंदमुक्त काव्य,ग़ज़ल आदि है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में रचना प्रकाशन हुआ है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सब तेरे अनुचर 

Tue Dec 26 , 2017
सूरज,पृथ्वी,चाँद,घूमते तेरे कारण। तुझमें ही है आदि अंत,तुमसे जग तारण॥ माया मत्सर मोह लोभ सब तेरे अनुचर। रोम-रोम अधिकार होय जल-थल या नभचर॥ काल अकाल विकाल तुम्हारे हैं सब साधन। कर्म भाग्य दुर्भाग्य बसे तेरे ही आनन॥ भटक रहा मैं हाय,मार्ग दिखलाना होगा। अवध न जाए हार,अवधपति !आना होगा॥ #अवधेश […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।