मैं हूँ खुशरंग हिना

0 0
Read Time1 Minute, 57 Second
kumari archana
हिना ही तो हूँ मैं,
हिना हाथों पे
अपना रंग छोड़ती है,
मैं लोगों के चेहरे पे मुस्कान।
वो भी खुद सिलबट्टे पे
घिस-घिसकर पिस जाती,
और मैं भी तुम्हारे इंतजार में
रोज-रोज मिटकर,
प्यार तो हम दोनों ही करते
बस फ़र्क इतना है,
कोई घिसकर तो
रोज जीकर मरता।
कैसी विरह की आग है
जिसमें कोई एक बार भस्म हो जाता,
कोई पतंगे-सा तड़प-तड़प के
क्यों मोहब्ब़त में इतना ग़म मिलता है,
कभी प्रेमी,प्रेमिका से मिलता है तो
कभी प्रेमी-प्रेमिका किसी और
के हो जाते,
जैसे हिना किसी और के
हाथों में सजती है,
क्या मैं भी किसी और की
दुल्हन बन सजूँगी मिटने के लिए,
या कई हाथों का
खिलौना बन जाऊँगी।
फिर उन वफाओं का क्या!
उस मोहब्ब़त का क्या…
उस इबादत का क्या,
उस एतब़ार का क्या
और उस इंतज़ार का,
जो मैंने किया तुम्हारे लिए।
जवानी से लेकर ढलती जवानी तक,
दमकती से लेकर झुर्रियाँ
पड़ती चमड़ी तक
पतली से बैडोल होती काया तक,
गुजरे जमाने से लेकर आज तक
क्या यूँ बेकार हो जाएंगे,
जब मुझे तुम्हारी नहीं,
किसी और की होना था॥
                                                                               #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला-पूर्णियाँ ( हरिश्चन्द्रपुर) की निवासी हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

खजाने नहीं आते

Tue Dec 12 , 2017
अब लबों पर इश्क के तराने नहीं आते। लाख खुदाई करो,मगर खजाने नहीं आते॥ घुटन रह-रहकर सारे किस्से बयां करती। अब नकली चेहरे हमें छुपाने नहीं आते॥ घर के बुजुर्गों को चैन से जी लेने दीजिए। अब शहरों में वो दिन बिताने नहीं आते॥ मतलबपरस्ती में लोग आग लगा रहे। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।