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अब लबों पर इश्क के तराने नहीं आते।
लाख खुदाई करो,मगर खजाने नहीं आते॥
घुटन रह-रहकर सारे किस्से बयां करती।
अब नकली चेहरे हमें छुपाने नहीं आते॥
घर के बुजुर्गों को चैन से जी लेने दीजिए।
अब शहरों में वो दिन बिताने नहीं आते॥
मतलबपरस्ती में लोग आग लगा रहे।
नफरत की आग कोई बुझाने नहीं आते॥
दीवानों की बस्ती है यहाँ कौन फिक्र करे।
पतितों को कोई यहाँ उठाने नहीं आते॥
जरूरतमंद की मदद की ता-उम्र जिसने।
‘पुरोहित’ दिल को वो दुखाने नहीं आते॥
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।
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