वेदना

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l r seju
छेद ओजोन में नहीं,
भारत माँ के आंचल में हो गया है।
पढ़े-लिखे तो कतार में खड़े हैं,
अनपढ़ों को सत्ता की पदवी मिल रही है
लूट रहे हैं मायावी मोरे बनकर,
राजनीति तो हिरन वारि बन गई ।
सत्य निष्ठ,अदब तो अल्प हैं यहां,
सत्ता तो जुर्म छुपाने का साधन बन गई।
क्या वेदना लिख़ूँ यारों,
विदेशों में कुबेर खजाना भरा पड़ा है
यहां तो किसान भूख से बिलखा पड़ा है।
रुआबदार भाषण दे रहे नेताजी,
सीमा पर मुठभेड़ में जवान शहीद होता रहा है।
साधु-बाबाओं की बात ही अदब है,
नाम बड़ा व दर्शन खोटा हो रहा है।
आश्रम तो गुरुशाला हुआ करता था,
आज अय्याशी का अड्डा बन गया है ।
आश्रम तो शांति,सदभाव,मुक्ति का मार्ग हुआ करता था,
आज लाशों का घर बन गया।
वेदना क्या लिखूं यारों,
बोली धरती माँ
मेरा आँचल तार-तार हो गया है।
महफूज नहीं नारी,हत्या छेड़छाड़,दुष्कर्म,
हर कोई हवस भरी निगाहों से देखता गया।
भय,लूट,भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा,
हर कोई चांदी बटोरता गया।
बेईमानी,जातिवाद,आंतकवाद,
इंसान,इंसान को बाँटता गया।
मिट रही मानवता,नैतिक पतन,
मानव अपने-आपमें ही सिमट कर रह गया है॥
                                                             #एल.आर. सेजू
परिचय : एल.आर. सेजू थोब राजस्थान की तहसील ओसिया(जिला जोधपुर) में रहते हैं।आपको हिन्दी लेखन का शौक है। अधिकतर लेख लिखते हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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