बचपन से सबको यही कहते सुना है औरतें देवी स्वरूप होती हैं।
सुंदर वर्ण,सर्वगुण संपन्न,नारी की ऐसी कल्पना ही क्यूं होती है।
आत्मनिर्भर,अभेय ,प्रतिभावान,कुछ ऐसी परिभाषाएं भी तो होती है॥
क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ?
मां-बहन-पत्नी-बेटी,हर किरदार निभाती है।
अग्निपरीक्षा हो या शादी का रिश्ता,हर युग में हर मोड़ पर ये परखी जाती है।
कभी प्यार,कभी गुस्सा,कभी अपनी सारी खुशियां वार देती है।
कभी खुद को भी भुलाकर, अपनों को संजोए रखती है।
क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ?
क्या कभी इन देवियों को उचित स्थान मिलेगा,
क्या कभी इनका भी नाम सबसे पहले रहेगा ?
सब कहते हैं-औरत एक अनसुलझी पहेली होती है,
कोई नहीं जानता,बहुत से गम अपने अंदर छुपाए होती है।
क्या सच में औरतें देवी का रूप होती हैं ?
कभी लक्ष्मी,कभी दुर्गा ,कभी अन्नपूर्णा का रूप होती है।
समय आने पर यह महाकाली भी होती है।
सबको संवारते-संवारते, कभी अपना अस्तित्व भी खो देती हैं।
हां,सच में औरतें देवी का रूप होती हैं।
#महक वर्मा
परिचय : महक वर्मा की जन्मतिथि-३ मार्च १९९९ तथा जन्मस्थान-इंदौर हैl आपका निवास शहर भी इंदौर(मध्यप्रदेश) हैl शिक्षा-बीए(पत्रकारिता एवं जनसंचार)हैl लेखन का उद्देश्य-अपनी भावनाओं एवं विचारों को शब्दों में पिरोकर लोगों तक पहुंचाना है।