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कलम पूजते हम श्रद्धा से,
ये हथियार हमारे हैं।
बहुत क्रांति रची है इनसे,
अगणित अरिदल मारे हैं॥
शोणित नहीं बहाया इसने,
और न खुद पर दाग लिया।
मिले सारथी जब-जब उत्तम,
सारे दुश्मन हारे हैं॥
#अवधेश कुमार ‘अवध’
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