ओढ़कर श्याम के रंग की ओढ़नी
इस कदर आज मीरा दिवानी हुई,
भूलकर वो जहां प्रीत की रीत में
प्रेम की एक पावन कहानी हुईl
छोड़कर महल,त्याग सब कुछ दिया
प्रीत की डोर से बाँध उसको लिया,
बोल मीठे हुए खुद हुई बाँसुरी
श्याम के प्रेम में बस रहे आतुरी,
नैन के नेह से गीत सारे लिखे
अश्क उसके वही फिर निशानी हुई…l
ओढ़कर श्याम के….ll
ढूंढती फिर रही है उसे हर गली
प्रीत की बावरी-सी बयारें चली,
सोचकर बस तुझे घूंट विष का पिया
याद कर-कर तुझे टूटता है जिया,
पावसों-सी बरसती रही आंख है
प्रीत ये मेघ का आज पानी हुई…l
ओढ़कर श्याम के….ll
श्याम को हर गली आज गाती फिरे
सांवरा है उसी का बताती फिरे,
प्रेम की जोगिनी आज सागर हुई
श्याम में डूबती प्रीत गागर हुई ,
लिख रही श्याम को शब्द में इस तरह
प्रीत उसकी सभी से सुहानी हुईl
ओढ़कर श्याम के रंग की ओढ़नी
इस कदर आज मीरा दिवानी हुई,
भूलकर वो जहां प्रीत की रीत में,
प्रेम की एक पावन कहानी हुईll
#राखी सिंह ‘
शब्दिता'
परिचय : राखी सिंह का कलम नाम `शब्दिता` हैl आप फिलहाल बीएससी में अध्ययनरत हैंl आपका बसेरा गाँव नगला भवानी(खन्दौली) आगरा में हैl राखी सिंह की जन्म तिथि-१० अगस्त १९९९ हैl लेखन कार्य आपका शौक हैl
Rakhi bahut khubsurat rachna…. aise hi likhti raho…. God bless you….☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆ sahity is voice of internal soul….RUPESH kumar …… mai Kya likhu… aapki rachna ke aage mere shabd hi kam pad jayege…..
Well done Rakhi!
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