मिले हर दिल को मोहब्बत हो ये, जरूरी तो नहीं,
मिले हर गाम पे शोहरत हो ये, ज़रूरी तो नहीं।
यहाँ – वहाँ तलक झूठे ही झूठे रहते है,
उनमें सच कहने की आदत हो ये ज़रूरी तो नहीं।
कोई भी काम में छोटा ना बड़ा होता है,
मिले हर काम में इज्ज़त ये ज़रूरी तो नहीं।
मेरे वालिद के नसीहत ही काम आती है,
मिले सबको ये नसीहत ये ज़रूरी तो नहीं।
उमा शिव
बालाघाट , म. प्र.
शिक्षा – एम. ए. , बी. एड. , पी जी डी सी ए, योग प्र. पत्र।
सम्प्रति ( कार्यक्षेत्र ) – प्रेरक शिक्षिका , व्यवसाय।
विधा – कविता ,हास्य – व्यंग्य, गीत – गज़ल।
प्रकाशन – समाचार पत्र – पत्रिकाओं में व काव्य संकलनों में।