बेनकाब 

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vijayanand
शोभा यात्रा के मद्देनजर जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न राजनीतिक-सामाजिक-धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई गयी।
 नगर भवन में डी एम साहब सभी को संबोधित कर रहे थे – ” आप सभी प्रबुद्ध लोग हैं, जिन पर आज बहुत बड़ी जिम्मेदारी है…सामाजिक सौहार्द्र और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की। पिछले वर्ष की अप्रिय स्थितियां अभी भी हमारे जेहन में ताजा हैं। उसकी पुनरावृत्ति न हो, हमें ये सुनिश्चित करना है।हम ऐसा माहौल बनाएँ कि प्रेम, एकता,समरसता, अमन-चैन और भाईचारे की मिसाल बन जाए….हमारा शहर। हम सभी उस एक ही परवरदिगार, ईश्वर की नेक संतान हैं। जरूरी है कि हम एक-दूसरे के सुख-दु:ख बाँटें, मिल-जुलकर अपने पर्व-त्योहार मनाएँ और एक रहें।मैं हाथ जोड़कर आप सबसे विनती करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप सभी प्रशासन को पूरा-पूरा सहयोग देंगे…..। ”  बोलते-बोलते हुए वे भावुक हो गये थे। तालियाँ बजाकर जब सबने सहमति जताई, तो डीएम का भी आत्मविश्वास बढ़ा। पिछले वर्ष की घटनाओं को याद कर उन्होंने एक और अनुरोध करना जरूरी समझा – ” …….साथ ही, आपलोग  ये  भी सुनिश्चित  करेंगे  कि जुलूस में किसी प्रकार के आपत्तिजनक नारे नहीं लगें।वरना……। “
” क्यों नहीं लगेंगे ” पाकिस्तान ज़िंदाबाद ” के नारे…..?  ” – आदर्शनगर के विधायक धर्मपाल नेगी जी अचानक अपना आपा खो बैठे और तैश में  सीट से उठ खड़े हुए।क्षणांश में ही अप्रकट,  प्रकट हो गया। वे अपनी ही घिनौनी  राजनीति के दलदल में समाने लगे थे।
” ये देखो….! हमारा शक सही निकला। ” आक्रोश भरा समवेत स्वर उभरा और सभी अपनी-अपनी कुर्सियों से उठ खड़े हुए। सबकी निगाहें अब नेगी की ओर थीं। पिछले साल दंगे में  हुई तबाही और बर्बादी का खौफनाक और हृदयविदारक मंजर सबकी आँखों के सामने से गुजर गया।
जाति, धर्म, संप्रदाय की राजनीतिक और वैचारिक चिता पर इंसानियत की लाश धू-धू कर जल रही थी और, जलते माँस की चिराईंध गंध हवा में फैल गयी थी।

                       #विजयानंद विजय

परिचय : लेखक विजयानंद विजय बक्सर (बिहार)से बतौर स्वतंत्र लेखक होने के साथ-साथ लेखन में भी सक्रिय है |

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