रमुजिया की झोपड़ी 

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mukesh rishi varma

सुबह-सुबह रमुजिया की झोपड़ी पर नगर निगम के कर्मचारियों ने धावा बोल दिया | दलील थी कि देश के प्रधानमंत्री शहर में दौरे पर आ रहे हैं और उनका काफ़िला इसी मुख्य सड़क से होकर गुजरेगा | वे अगर ऐसी गंदी झोपड पट्टी को देखेंगे तो उन्हें बुरा नहीं लगेगा | कुछ दिन के लिए तो यहाँ से किसी दूसरी जगह पर तुमको जाना ही होगा |

रमुजिया दोनों हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया –  ‘साब-साब… मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं और ऊपर से ये पौष की ठण्ड…  साब! हम मर जायेंगे |’

तभी एक कर्मचारी की नजर टाट में सिकुड़ते-ठिठुरते दो छोटे-छोटे बच्चों पर पड़ गयी | गरीबी का हृदयविदारक मंजर देख, उसके हृदय में दयाभाव जाग गया | अपने साथियों से बोला – ‘क्यों न बड़े-बड़े बैनर-पोस्टर लगाकर झोपड़ियाँ छुपा दी जायें | इस हाड़ गलाने वाली ठंड में बेचारों का घर क्यों उजाड़ें |’

माहौल देख, उसके अन्य साथियों ने भी उसकी बात का समर्थन किया | और देखते ही देखते बडे-बडे बैनरों से सड़क किनारे की सभी झोपड़ पट्टी छुपा दी गईं |

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।