बिटिया

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l r seju

गूँज उठी थी किलकारी मेरे आँगन में,
चांदनी की तरह शीतल-सी
कली की तरह नाजुक-सी,
मेरी प्यारी नन्हीं-सी बिटिया रानी थी।
सौभाग्य है हमारा,
घर-घर दी बधाइयां
मेरा आँगन महकाया,
बेटी तो घर की रोशनी होती हैं।
सब कहते हैं दिखती हैं,
माँ जैसी
होती हैं माँ का सहारा,
और हमारी परछाई।
बेटी तो पिता की सरताज होती हैं,
न जाने क्यूं मार देते हैं
बेटी को कोख में,
न जाने क्यूं सताते हैं
बेटी को दहेज की भूख में।
बेटी तो ईश्वर का वरदान होती है,
एक बार इन्हें पढ़-लिखा कर तो देखो
एक बार अवसर देकर तो देखो,
सारा जहाँ बदल देगी बेटियां
क्योंकि,
बेटों से कम नहीं होती बेटियां॥
                                                             #एल.आर. सेजू
परिचय : एल.आर. सेजू थोब राजस्थान की तहसील ओसिया(जिला जोधपुर) में रहते हैं।आपको हिन्दी लेखन का शौक है। अधिकतर लेख लिखते हैं।

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