साथी

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manmohan bhatiya
कुछ वीरान-सी हो गई ज़िन्दगी,

साथी के चले जाने के बाद।

अब तो दीवारें ही हो गई साथी,

साथी के चले जाने के बाद।

बार-बार याद आता है चेहरा साथी का,

साथी के चले जाने के बाद…

वो हसीन मुस्कुराता चेहरा साथी का,

वो दिल को लुभाता चेहरा साथी का…

वो हर पल प्यार करता चेहरा साथी काl

वो हर पल प्यार मांगता चेहरा साथी का,

वो हर पल इज्ज़त करता चेहरा साथी का

वो हर पल इज्ज़त करवाता चेहरा साथी का,

वो हर ग़म को भुलाता चेहरा साथी का

वो प्रेरणा देता चेहरा साथी काll

वो वीराने को महफ़िल बनाता चेहरा साथी का,

वो पल-पल साथ निभाता चेहरा साथी का…

वो हर पल साथ रहता चेहरा साथी का।

अब तो दीवारें ही हो गई साथी,

साथी के चले जाने के बादll

#मनमोहन भाटिया

परिचय: मनमोहन भाटिया की जन्म तिथि-२९ मार्च १९५८ और जन्म स्थान-दिल्ली हैl आपने बी.कॉम.(ऑनर्स) तथा एल. एल.बी. की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से हासिल की हैl संप्रति से आप होटल(प्राईवेट लि.)में सहायक प्रबंधक(वित्त और लेखा) हैंl कहानियाँ लिखना आपका शौक है,इसलिए फुर्सत के पलों में शब्दों को मिलाते रहते हैंl आपके द्वारा रचित कहानियाँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं तो, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की वेबसाईट में भी कहानी संकलन है। राजकमल प्रकाशन की पुस्तक `कहानियां रिश्तों की-दादा-दादी नाना-नानी` में कहानी-`बड़ी दादी`प्रकाशित हैl कहानी `ब्लू टरबन` का तेलुगू अनुवाद अनुवादक भी हुआ है तो `अखबार वाला` का उर्दू अनुवाद हो चुका है। कई अखबारों में सामयिक विषयों पर पत्र भी लिखे हैंl आपको सम्मान-पुरस्कार के रूप में २००६ में प्रतियोगिता में ‘लाईसेंस’ कहानी को द्वितीय,२००८ में ‘शिक्षा’ कहानी और २०१६ में लोकप्रिय लेखक से सम्मानित किया गया हैl आपका निवास पिंक सोसाइटी(रोहिणी)दिल्ली में हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।