खुदा जब साथ है तेरे ऐ बंदे,
तो फिर फिक्र की बात क्या है।
हिम्मत का ताज रख
सिर पे अपने,
तेरे आगे किसी की
भला औकात क्या है।
होगा मुकम्मल तेरा भी
हर एक सपना,
जुनून के सामने तेरे
ये अंधेरी रात क्या है।
फतह-ए-मंजिल में मिलेंगे
जख्म अभी और भी,
नींद तोड़ने को मिला
ये भला पहला आघात क्या है।
हौंसले से बढ़ा आगे कदम अपने ऐ दोस्त, बदलेगी तेरी भी किस्मत, ये दुर्दिन से हालात क्या है।
खुदा जब साथ है तेरे ऐ बंदे,
तो फिर फिक्र की बात क्या हैll
#विवेकानंद विमल ‘विमर्या’
परिचय:विवेकानंद विमल का साहित्यिक उपनाम-विमर्या
हैl आपकी जन्मतिथि-१६ जनवरी १९९७ तथा जन्म स्थान-ग्राम माधोपुर(पोस्ट-पाथरौल,जिला-देवघर,झारखंड) हैl वर्तमान में भी झारखंड राज्य के पाथरौल(शहर मधुपुर) में बसे हुए हैंl गिरिडीह से फिलहाल एम.ए.(अंग्रेजी) में अध्ययनरत हैंl बतौर विद्यार्थी विमर्या की लेखन विधा-कविता व लेख हैl इनकी उपलब्धि यही है कि,अनेक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नवीन कविताओं व समसामयिक विषयों पर लिखे आलेख का नियमित प्रकाशन होता रहता हैl काव्य पाठ के लिए झारखण्ड में ‘सारस्वत सम्मान’ से सम्मानित किए गए हैंl ब्लॉग पर भी सक्रिय विमर्या के लेखन का उद्देश्य-निराशा से निकलकर समाज में आशावाद की ज्योति जलाना हैl