`संक्षिप्तता` जब हुई तो थाली बजी कांसे की, सजा हुई थी उसे जांचें की। संक्षिप्तता ने सुमन खिलाए हैं खुशहाली के, अन्तरआत्मा से तृप्तित अश्रु बह रहे हैं, घरवाली के। संक्षिप्तता की अभिलाषाएं, अंतरिक्ष में उड़ान भरने की हैं। हर क्षेत्र में संक्षिप्तताएं पनप रही हैं आज, इसी में छिपा […]