गलत राह में जाने से रोकते हैं,
हर बार सही राह दिखाते हैं l
सही-गलत की बात बताते हैं, पिताजी हर वक्त साथ निभाते हैं ll
कुछ वक्त प्यार मन में छुपाते हैं,
कुछ वक्त उसे दर्शाया करते हैं l
हर वक्त हमारे बारे में सोचते हैं,
पिताजी हर वक्त….ll
कभी गलत करने पर गुस्सा करते हैं,
उसके बाद हल्के से मुस्काया करते हैं l
हर वक्त हमारी भलाई की बात बताते हैं, पिताजी हर वक्त….ll
हमारी जरूरतों को बिन बोले जान जाते हैं, हमेशा दुख को हमसे दूर छोड़ आते हैं l हमारी खुशियों का खयाल रखते हैं, पिताजी हर वक्त….ll
कभी असफल होने पर गलतियां बताते हैं,
भविष्य सुधारने का सही मार्ग दिखाते हैं l हमें हमारे लक्ष्य की राह दिखाते हैं, पिताजी हर काम में साथ निभाते हैं ll
हर बार हमारे मन की बात जान जाते हैं, हर मुश्किल से हमें लड़ना सिखाते हैं l हमेशा सच्चाई का फायदा बताते हैं, पिताजी हर वक्त….ll
हम भी कभी उनसे दूर जाना नहीं चाहते हैं, उनका हर वक्त खुशियों से सजाना चाहते हैं l उनकी मुस्कुराहट चेहरे पर सजी रहे हमेशा, उनके साथ यूँ ही वक्त खुशियों से बिताना चाहते हैं ll
परिचय : आरव शुक्ला अभी छात्र हैं,पर कविताएँ रचने का शौक रखते हैं। इनका निवास रायपुर के सुन्दर नगर (छत्तीसगढ़) में है। केवल पंद्रह वर्ष के आरव की जिंदगी को लेकर खुली समझ इनके लेखन को प्रदर्शित करती है।