हिंदी अखबारों की भ्रष्ट भाषा

0 0
Read Time3 Minute, 53 Second
vaidik-1-300x208
आजकल मैं मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई शहरों और गांवों में घूम रहा हूं। जहां भी रहता हूं,सारे अखबार मंगवाता हूं। मराठी के अखबारों में बहुत कम ऐसे हैं, जो अपनी भाषा में अंग्रेजी का प्रयोग धड़ल्ले से करते हों। उनके वाक्यों में कहीं-कहीं अंग्रेजी के शब्द आते जरुर हैं लेकिन वे ऐसे शब्द हैं,जो या तो अत्यंत लोकप्रिय हो गए हैं या फिर उनका अनुवाद करना ही कठिन है लेकिन हिंदी के बड़े-बड़े अखबार(जो कृपा करके मेरे लेख भी छापते हैं)को पढ़ते हुए मैं हैरत में पड़ जाता हूं। उनकी कई खबरों में ऐसे वाक्य ढूंढना मुश्किल हो जाता है,जो आसानी से समझ में आ जाएं। इनमें अंग्रेजी के ऐसे शब्द चिपका दिए जाते हैं, जिनका अर्थ समझना ही आम पाठकों के लिए मुश्किल होता है। इसका अर्थ यह नहीं कि मेज पर बैठे पत्रकार अपनी भाषा को भ्रष्ट करने पर उतारु हैं। उनकी चाहत भी यही है कि सरल भाषा लिखी जाए लेकिन वे जल्दबाजी में उलटा काम कर बैठते हैं। कौन शब्दकोश देखे,कौन किसी वरिष्ठ से पूछे,कौन आपस में चर्चा करे। इसके अलावा अखबारों के सम्पादकों और मालिकों की ओर से भी कोई आपत्ति नहीं होती। अखबार बिक रहा है,इसी से वे संतुष्ट हैं। इन्हीं अखबारों के सम्पादकीयों और लेखों में सरल और शुद्ध हिंदी देखकर मेरा मन प्रसन्न हो जाता है। यदि ये लोग थोड़ा ध्यान दे दें तो हमारे हिंदी के अखबार काफी बेहतर हो सकते हैं। उनका प्रभाव भी बढ़ेगा और पाठक-संख्या भी। मैं पोंगापंथी शुद्धतावादी बिल्कुल नहीं हूं। हिंदी में हम अन्य देशी और विदेशी भाषाओं के जितने भी शब्द हजम कर सकें,जरुर करना चाहिए लेकिन हमारे अखबारों और टीवी चैनल तो अंग्रेजी शब्दों की बदहजमी से परेशान है। मैंने अब से पचास साल पहले जब अफगान विदेश नीति पर अपनी पीएच.डी. का शोधग्रंथ हिंदी में लिखा था तब कई जर्मन, फ्रांसीसी,फारसी और रुसी शब्दों का हिंदीकरण कर दिया था। इसी प्रकार नवभारत टाइम्स और ‘पीटीआई-भाषा’ का सम्पादक रहते हुए मैंने असंख्य देशी और विदेशी भाषाओं के शब्दों का हिंदीकरण किया,जिसे सैकड़ों हिंदी अखबारों ने सहर्ष अपनाया। अंग्रेजी के भ्रष्ट उच्चारणों से कई देशी और विदेशी नामों को पहली बार मुक्ति मिली। हिंदी पत्रकारिता का रुप ही बदल गया। हिंदी संस्कृत की बेटी है और उर्दू समेत सभी भारतीय भाषाओं की बहन है। उसके शब्द-सामर्थ्य का क्या कहना ? उसके सामने बेचारी अटपटे व्याकरण और ऊटपटांग उच्चारण वाली अंग्रेजी कैसे टिक सकती है ? संस्कृत की एक धातु में हजारों नए शब्द बनते हैं और उसकी धातुएं २००० हैं। पत्रकार भाई लोग अपनी इस छिपी हुई ताकत को समझें और थोड़ी मेहनत करें तो हिंदी को भ्रष्ट होने से बचा सकते हैं।
                                    #डॉ. वेदप्रताप वैदिक

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जय माँ नर्मदेश्वरी

Thu Jan 25 , 2018
(माँ नर्मदा की जयंती विशेष) सुनो सुनाता माँ की कहानी, नर्मदा मैया चिरकाल कुंवारी। जब हुई धरती पे पापों की वृष्टि, तब विपरीत हो गई सारी सृष्टि। काल में डूबी मानव की नैया, रूठ गयी थी म्हारी धरती मैया। सूख गया था संसार ये सारा, सारी ऋतुओं ने मुंह था […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।