राह पर अपनी बढ़ता जा रे…

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vijaylakshmi
मधुबन जीवन,एक महकता,
तपती धरा तब नीर बरसता।
राही तू क्यों, छांव तलाशे?
आलौकित कर जीवन पथ को,
जो मिल जाए,तू अपना रे
राह पर अपनी बढ़ता जा रे।
सुख की रातें गन्ध मारती,
दुःख ही है सुखों का सारथी।
जलकर बाती उजियारे पाती,
मिले न इच्छित तो जश्न मना।
रीत नई जग-जीत चला रे,
राह पे अपनी,बढ़ता जा रे॥

जिसने जितना काम किया,
उतना उसने जहर पिया।
धूप सहन कर, मेघ दिया,
सरिता बन तू बहता जा।
जग के मन में प्रीत बसा रे,
राह पर अपनी बढ़ता जा रे।
देख धरा ने धारा कितना,
और गगन ने वारा कितना?
परहित जीना,मत बिसरा
रीत वही तू भी ले अपना,
लीक अपनी खुद बनता जा रे।
राह पे अपनी….॥

जिसने खुद को जीत लिया,
उसने जग को मीत किया।
शिव ने हलाहल के बदले,
अमिय जगत को दान किया।
निज पालक के वचनों हित रे,
राज्य राम ने त्याग दिया रे।
मात-पिता की सेवा में,सुन-
श्रवण ने जीवन वार दिया।
वीर शिवाजी ने धरती को,
बलिदानों से आरक्त किया।
बापू,नेहरु औ सुभाष बन रे।
तू भी अपना नाम बना रे॥

                                                             #विजयलक्ष्मी जांगिड़

परिचय : विजयलक्ष्मी जांगिड़  जयपुर(राजस्थान)में रहती हैं और पेशे से हिन्दी भाषा की शिक्षिका हैं। कैनवास पर बिखरे रंग आपकी प्रकाशित पुस्तक है। राजस्थान के अनेक समाचार पत्रों में आपके आलेख प्रकाशित होते रहते हैं। गत ४ वर्ष से आपकी कहानियां भी प्रकाशित हो रही है। एक प्रकाशन की दो पुस्तकों में ४ कविताओं को सचित्र स्थान मिलना आपकी उपलब्धि है। आपकी यही अभिलाषा है कि,लेखनी से हिन्दी को और बढ़ावा मिले।

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।