गया नही हूँ मैं

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khushabu kumari
क्या आज़ादी पाई है हमने,
क्या शहादत पाई है हमने,
अब न फिक्र होगा माँ तुम्हे,
मेरे सरहद पे लड़ने पर,
अब न फिक्र होगी संगिनी तुम्हे,
मेरे घर न आने पर,
अब न फिक्र करना बहना,
तेरा भाई अब अलविदा कह गया है,
अब न फिक्र करना बच्चे मेरे,
तुम्हारा पिता तस्वीरों में समा गया है,
न फिक्र करना देशवासियों,
मर कर भी ये जवान,
सीना ताने तैनात है,
शरीर मे तिरंगा,
हाथ मे बंदूक थामे,
आज भी मेरा कण कण,
भारत माँ के नाम है।
आज भी गोली चलेगी मेरी,
दुश्मन मिट्टी में मिल जाएंगे,
शहीद होकर भी,
हम अपनी आशिकी निभाएंगे,
मत रोना मेरे देशवासियों,
गया नही हूँ मैं,
तुम्हारे हर पल, हर उम्मीद में,
यहीं कहीं हूँ मैं।
देख रहा हूँ पुलवामा के हर एनकाउंटर को,
सुकून मिल रहा है,
आतंक को खत्म करने में,
शहीद होकर भी,
जीने का जुनून मिल रहा है।
गया नही हुँ मैं,
हर उम्मीद, हर आस में,
यहीं कहीं हूँ मैं,
यही कहीं हूँ मैं।
जय हिंद, जय भारत।
#खुशबू कुमारी

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।