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प्रथम
हमारी ‘जननी’
माता।
दूसरी
हमारी ‘धरती’
माता।!
तीसरी
हमारी ‘प्रकृति’
माता।
चौथी
हमारी ‘नदियाँ’
माता।
पाँचवी
हमारी ‘गैया’
माता।
छठवीं
हमारी ‘रोज़ी-रोटी’
माता॥
#डा. महेशचन्द्र शांडिल्य
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