इंसानियत

0 0
Read Time2 Minute, 25 Second
 vishnukant
चेहरे पर झूठी मुस्कान,ख़ंजर छुपाए बैठा हूँ।
मैं आज का इंसान हूँ,घात लगाए बैठा हूँ॥
सम्भलना,सम्भलना मुझसे तुम्हारी जिम्मेदारी है।
मैं तो अखबार में भी क़त्ल छुपाए बैठा हूँ॥
मसला कुछ यूँ है आजकल मेरे वतन भारत में।
मैं भारत को हिन्दुस्तान बनाए बैठा हूँ॥
कुछ लोग खफा होंगें, कुछ रुठेंगे जाएंगे मुझसे,
बिडम्बना ये है कि मैं ‘इंसानियत’ को जाति बनाए बैठा हूँ॥
गाँवों में जिन्दा हैं अभी भी कुछ रिश्ते, चाचा-चाची,ताऊ-ताई,मौसा-मौसी,भाई-बहिना।
आज बड़े शहर में,सब रिश्तों को कुर्बान किये बैठा हूँ॥
मैं बड़ा हो गया हूँ केवल अपनी नजर में सबसे दूर।
घमंड में चूर होकर अपनों को भुलाए बैठा हूँ॥
जीवन के अंतिम समय,याद आएंगे ‘विष्णु’,वो खेत,वो खलिहान,वो टेढ़ी मेड़ और गांव के किसान,
जिंनसे कभी लड़ते थे सुबह-शाम,उन यारों को भुलाए बैठा हूँ॥
                                                   #डॉ. विष्णुकान्त अशोक
परिचय: डॉ. विष्णुकान्त अशोक की जन्मतिथि-१० जुलाई १९७० एवं  जन्म स्थान-हाथरस(उ.प्र.)है। आपका निवास उत्तर प्रदेश के शहर-हाथरस में ही है। शिक्षा-एमए के साथ ही पीएचडी (अंग्रेजी) है,जबकि कार्यक्षेत्र-वाराणसी, देवरिया,हाथरस है। सामाजिक क्षेत्र-जनपद हाथरस है। आपने मिश्रित विधा अपनाई हुई है। नई दिल्ली से एक प्रकाशन ने आपकी किताब छापी है। आपके लेखन का उद्देश्य-देशभक्ति की भावना जिंदा रखना,सामाजिक भेदभाव पर प्रहार,जातिवाद का जहर कम करना,इंसानियत का प्रसार,स्वस्थ्य मनोरंजन, नई सोच पैदा करना,चीजों- घटनाओं को सही और अलग नजरिए से देखना और दिखाना है। साथ ही भारत को सबसे अच्छा और सबसे श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने में प्रयास करना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जाग रे मनुवा

Fri Sep 8 , 2017
जाग रे मनुवा जाग रे, खोल दे नैनन पट को। अंतर्मन में बसे प्रति क्षण, काहे ढूंडे घट-घट को॥ मान रे मनुवा जान रे, छोड़ तू धर्म झंझट को। इंसानियत जगा ले तू ,कुछ न जाए मरघट को॥ चल बढ़ा कदम अपना,प्रकाश की तलाश कर। स्वविवेक से दीप जला,अज्ञानता का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।