पाखण्ड हुआ खंड-खंड

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naman jain
हुआ पतन है संस्कारों का क्रोध बहुत अब आता है।
पाखण्डी को देख-देखकर धर्म खड़ा शर्माता है॥
बेच चुके निज आन-बान को,धर्म बेचने वाले हैं।
गन्दी मछली के कारण अब नीरकुंड भी नाले हैं॥
हम तो समझा करते थे कि धर्म बचाने आएंगे।
पता नहीं,आभास नहीं था इसे बेचकर खाएंगे॥
साधु उनको कहते हैं जो देश धर्म का मान करें।
साधु उनको कहते हैं जो संस्कृति का सम्मान करें॥
साधु उनको कहते हैं जो नारी लाज बचाते हैं।
साधु उनको कहते हैं जो रक्षक भी बन जाते हैं॥
साधु उनको कहते हैं जो लोभ मोह सब छोड़ चुके।
दुनियादारी छोड़-छाड़कर हर बंधन को तोड़ चुके॥
पर ये कैसा साधु जन्मा भारत-भू की माटी पर।
इसके कृत्य देख-देखकर शर्म लगी परिपाटी पर॥
शर्मिंदा है धर्म सनातन, शर्मिंदा हर हिन्दू है।
श्वेत पृष्ठ के ऊपर लगता जैसा काला बिन्दु है॥
पहले आशाराम गया था, रामवृक्ष कुछ जाते हैं।
रामपाल और राम-रहीम से खुद को राम बताते हैं॥
नहीं बराबर चरण धूली के,राम नाम बदनाम किया।
राम नाम की शरण पकड़कर ओछा गंदा काम किया॥
राम सदा ही धर्म सनातन मर्यादा के पोषक थे।
राम हमारे संस्कार और संस्कृति के उद्घोषक थे॥
दुष्ट अधर्मी हुए धरा पर उनके वो संहारक थे।
निर्धन की पूँजी होते थे, असहाय के तारक थे॥
ये साधु जो राम नाम का चोला पहने फिरते हैं।
राम तो छोड़ो,रावण भी इनके पापों से डरते हैं॥
दुष्कर्म करें जो,करते अगवा शोषण के अपराधी हैं।
हथियारों का रखें जखीरा,आतंकी उन्मादी हैं॥
हुआ फैसला तीन तलाक का,मुस्लिमों ने अपनाया था।
न्यायालय का निर्णय था, पूरे भारत को भाया था॥
इक दुष्कर्मी की खातिर क्यों इतना शोर मचाते हो।
न्यायालय ने न्याय किया है,क्यों इसको झुठलाते हो॥
वो ही लड़की अगर तुम्हारी बेटी बहन हुई होती।
तब भी क्या ये भीड़ सड़क पर वाहन फूँक रही होती॥
ये भीड़ नहीं हटती,लेकिन तब तुम तो साथ नहीं होते।
बर्बादी के आलम पर तुम सागर भर आँसू रोते॥
कवि ‘नमन’ आह्वान करे, यही सच्चाई अपनाओ अब।
नहीं अगर ये कर सकते तो बाबा ही बन जाओ अब॥
लेकिन इतना याद रहे, विश्वास नहीं टिक पाएगा।
बाबा ऐसे रहे अगर,हर आतंकी कहलाएगा॥
                                                           #नमन जैन ‘अद्वितीय’
परिचय: नमन जैन ‘अद्वितीय’ की आयु १८ वर्ष है,और लेखन अवधि १० माह है।बी.काॅम. में अध्ययनरत नमन उत्तर प्रदेश के शामली स्थित खेडी करमू में रहते हैं। आपकी रुचि काव्य लेखन में है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।