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सोते नहीं बना,कभी जगते नहीं बना,
घुट-घुट किसी की याद में मरते नहीं बना।
सबने कहा यही उसे दिल से बिसार दूं ,
पर बेवफा को दिल से बिसराते नहीं बना।
कांटों में रह के हंसने की कोशिश तमाम की,
फूलों की तरह पर कभी हंसते नहीं बना।
वह देखते ही दूर से रोने लगा मुझे,
हालत पे उसकी छोड़ के चलते नहीं बना।
मैं भी कहीं से वक्त के सांचे में ढल सकूँ,
मुझसे कभी भी इतना सिमटते नहीं बना।
दिनभर मैं इंतजार में बैठा रहा मगर,
उंगली से कुछ भी रेत पे लिखते नहीं बना॥
#डॉ.कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
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