ये आशिकी जो दुनिया को पाक़सार लगती है,
वही मुहब्बत खंजर-सी,मेरे दिल पर धारदार लगती है।
मेरे अश्कों में नजर आती हैं, खूँ की रंगत,
ये बारिश भी मुझे अब उमसदार लगती है।
राहें तकना भी छोड़ दी है,मैंने उसकी,
क्योंकि हालत अब मुझे खुद की लाचार लगती है।
हटाओ,ले जाओ, दफना दो उनकी यादों को,
ये रात में दरवाजे पर खड़ी कोई पहरेदार लगती है।
कभी जगता था जिनकी यादों में,मैं रात-रातभर,
अब उन्हीं रातों में नींद क्या मजेदार लगती है।
फेंक दो,जला दो, फाड़ दो इन तस्वीरों को,
क्योंकि तस्वीरों में भी अब उनकी नजर चुभनदार लगती है।
#अंकित आजाद गुप्ता
परिचय: अंकित आजाद गुप्ता की आयु मात्र २२ वर्ष तथा जन्म स्थान-पूर्वी चम्पारण(राज्य-बिहार) है। आप शहर-मोतिहारी में रहते हैं। अभी एमए पढ़ रहे हैं। सामाजिक क्षेत्र में सेवा के लिए गरीब बच्चों को निशुल्क अध्यापन,समाजसेवा हेतु सदैव तत्पर एवं कई सामाजिक कार्यों में सहयोग के लिए तैयार रहते हैं। रक्तदान हेतु स्वयं उपलब्ध होने के साथ ही युवाओं में इसके प्रति जागरुकता लाते हैं। इन सेवा कार्यों के लिए कटिहार विधायक ने आपको प्रशस्ति-पत्र एवं रक्तदान हेतु प्रशंसा-पत्र दिया है। आपकी साहित्य एवं लेखन में रुचि है।
बहुत ही सराहनीय प्रयास . दर्द को लेखनी का रूप देना रोचक है. आप नई ऊँचाई को छुयें , हमारी मनोकामना है.
बहुत उम्दा भाई अंकित। वाह । यूं ही लिखते रहो।