युगों युगों से योग साधना कर युगीन योगीराज हुए । विश्वनाथ योग प्राण के व्याख्याता हो निर्विकार हुए । अतुलित बल पाकर विश्वामित्र महायोग से बलवान हुए। शक्ति का अनुमान कठिन हो जायें जो योगसाधना से योगेश्वर हुए । यौगिक क्रियाओं से यौवन बना रहा ब्राह्मॠषी का। ऊँ भूर्भुवः स्वाहा […]

त्रिभाषा-सूत्र के विवाद पर तीन-तीन मंत्रियों को सफाई देनी पड़ी है। उन्होंने कहा है कि यह तो शिक्षा समिति की रपट भर है। यह सरकार की नीति नहीं है। अभी इस पर सांगोपांग विचार होगा, तब यह लागू होगी। क्यों कहना पड़ा, उन्हें ऐसा ? इसलिए कि मोदी सरकार पर […]

सौन्दर्य की बात मत करो बेमानी है। भूख भूखी हो जायेगी प्यास प्यासी हो जायेगी। यथार्थ में सौन्दर्य नहीं होता नयी परिभाषाएँ बता रही हैं। आदमी की पीड़ा को अधिक से अधिक कुरेदना है प्रकृति और प्रेम के रंगों को संघर्ष के कृत्रिम रंगमंच में मात देनी है। रोटी के […]

वे लोग जो बीच सफर में छोड़ जाते हैं, वही तो हमें अकेला चलना सिखाते हैं। समझ नहीं आता मुझे इश्क़ का फ़लसफ़ा, जब भी समझना चाहते हैं,उलझ जाते हैं। उनको देखकर मुस्कुराना मजबूरी है मेरी, ये अलग बात है नम आँखों से भी मुस्कुराते हैं। अश्क़ हमेशा तूफाँ बनकर […]

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ये आशिकी जो दुनिया को पाक़सार लगती है, वही मुहब्बत खंजर-सी,मेरे दिल पर धारदार लगती है। मेरे अश्कों में नजर आती हैं, खूँ की रंगत, ये बारिश भी मुझे अब उमसदार लगती है। राहें तकना भी छोड़ दी है,मैंने उसकी, क्योंकि हालत अब मुझे खुद की लाचार लगती है। हटाओ,ले […]

हे ! सावन तुम अब मत आना तुम्हारे नाम से ही हृदय मयूर नृत्य करने लगता है, तरह-तरह की भावनाएं हिलोरें लेने लगती हैं चहुँ ओर हरा-भरा हो जाता है। पर, कुछ के लिए तुम काल बन जाते हो, तुम्हारी वृष्टि का वेग बर्बादी के मंज़र को आमंत्रण दे देता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।