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मनहरण घनाक्षरी छंद……
पक्षियों को दाना-पानी,हम न खिलाएंगे तो ,
दाना-पानी कौन भला उनको खिलाएगा।
यूं तो कई लीटर, पानी को बहाते हम,
चुल्लू भर पानी इन्हें जीवन दिलाएगा।
दो मुट्ठी गेहूं के दाने, इनको खिलाएंगे तो,
क्या हमारे भंडारे में, बोलो फर्क आएगा।
आपके भरोसे द्वारे-द्वारे वो भटकते हैं,
ये ज़रा सा पुण्य सारे, पाप को मिटाएगा।
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
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