कब से ढूँढ रही मैं,
बीते वक्त के,उस कल को
छोड़ आई थी,मैं जहाँ पर
बचपन के उस पल कोl
दिनों-दिन मैं बढ़ती जाती,
उम्र की सीढ़ी चढ़ती जाती
छूटता जाता बचपन पीछे
मैं बचपन-बचपन पुकार रही,
पर पास कभी न,वो मेरे आती
दूर खड़ी-खड़ी बस मुस्कातीl
अपने नन्हें हाथों से वो अक्सर,
माँ की अँगुली थामे रहती
बचपन में,मैं सोचा करती..
कब जल्दी बड़ी मैं हो जाऊँ,
पर आज..
बड़ी होकर भी मैं,
वापस बचपन को ढूँढा करती हूँ
उम्र की ढलती इस संध्या में
यादों का दीया जलाकर,मैं पगली-सी
सुबह का अहसास संजोए रखती हूँll
#महेश्वरी कनेरी
परिचय : श्रीमती महेश्वरी कनेरी देहरादून (उत्तराखंड)के नेशविला रोड पर रहती हैंl आपकी जन्मतिथि २६ नवम्बर १९४७ हैl