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रिश्तों के एक शहर को,बसाने की बात कर,
रुठे हुए दिलों को, मनाने की बात कर।
हाथों में हाथ ले के,बढ़ना ओ साथी मेरे,
भारत की अस्मिता को,बचाने की बात कर।
बढ़कर के जिंदगी में,जिंदादिली के साथ,
आपस के बैर अब तो,भुलाने की बात कर।
भारत का शौर्य सोया,रिपु वंश बढ़ रहा है,
शेरों को मांद से अब,जगाने की बात कर।
संबल बनो जरा तुम, ‘अनुपम’ के हौंसलों का,
भारत की भव्यता को,सजाने की बात कर॥
#अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’
परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।
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