एक होली आज भी है,, एक होली वो भी थी,,,
अब साथ नही है जो,, तब हमजोली वो भी थी,,,
उसके गाल गुलाबी को तब रंगो से हमने रंगा था,,,
उसके होठो के गुलकंद को, अधरो से जब चखा था,,,
उसके योवन का रंग हम पर कुछ ऐसे चढ़ गया था,,,
प्रीत भरे नयनों में जैसे कोई काजल भर रहा था,,,
उसके गोरे बदन पे रची, एक रंगोली वो भी थी,,
एक होली आज भी है, एक होली वो भी थी,,
मन जब पावन होता है, सारा उपवन अपना लगता,,
प्रेम अगन में जो जलता, खारा पानी भी मीठा लगता,,
जिन हाथों से स्पर्श किया उसे, उनमे खुशबू आज भी है,,
होली की नटखट यादों का , मेरे गीतो में साज़ भी है,,
बरसों बीते जिन बातों को, क्यूं उन पर भिगोनी थी,,
एक होली आज भी है, एक होली वो भी थी,,
अब साथ नही है जो,, तब हमजोली वो भी थी,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तरखंड)