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जिन्दगी की राहों में अगर तू नहीं।
तो और चलने की अब जुस्तजू नहीं॥
आहिस्ता से छूना पुराना लिबास हूँ।
यादों के सिवा अब बची कोई रफू नहीं॥
अजीब सिरफिरा हो गया है मेरा दिल।
हर पल तेरी ही याद पर तेरी आरजू नहीं॥
तेरे शहर के लोग जिसे कह रहे हिना।
गौर फरमाना अमित कहीं मेरा तो खूं नहीं॥
#अमित शुक्ला
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