भिखारी

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kumari archana
फटे-पुराने  कपड़े पहने हुए,
चेहरे पे झुर्रियां छाए हुए..
मुँह  लटकाए हुए,
हाथ में कटोरा पकड़े..
कांख में पोटली दबाए हुए,
माथे पर बदकिस्मती की तकदीर
धारियों में लिखाए हुए,
उल्टी-पुलटी चप्पल पहने..
बेतहाशा सड़कों पे,
तो कभी गली कूचों में..
इधर-उधर चलते-फिरते,
दिखने में साधु लगता..
पर है भिखारी,
उपदेश नहीं,आशीर्वाद देता
बदले में बस थोड़ी भीख…।
दरवाजे-दरवाजे शोर लगाए,
यही कहता बार-बार-
दे दाता के नाम,तुझको अल्ला रखे..
लोग कान में रुई रख लेते,
रोज-रोज के बेटा-बेटी का
बीमारी का बहाना सुनकर..
ऐसे उकता चुके हैं-जैसे,
किसी एक शैली को जीकर…।
क्योंकि,अच्छे-भले लोगों,
जिसको किसी चीज की
कोई न है कमी,
वो पैसे के लालच में..
काम से जी चुराते,
वहीं मार देती है
असली भिखारी के पेट पर लात..
घर्म कहता-पाप कटाओ,गंगा नहाओ,
दान-पुण्य साधु व भिखारी को करो..
सरकार कहती-भीख देना पाप है,
निकम्मे लोगों को इससे
बढ़ावा है मिलता,
इससे बेरोजगारी है बढ़ती..
विकास कार्य पर ज्यादा धन खर्च होता,
अर्थव्स्था की गति धीरे-धीरे होती
दुनिया में भारत की छवि खराब होती…।
देश में घोटालों की सूची है लम्बी,
मंत्रियों का स्विस बैंक में है खाता..
कालाबाजारी करने वालों के
घर है अनाजों से सड़ते,
बाहर भूखे खाने को तरसते..
बेईमानों के यहाँ रजाई बोरे में रूपए,
गरीबों के बिस्तर में रुई भी है कम,
फिर भी सरकार को दिखता कम..
जो विकास के नाम पर पैसे आते,
मिल-बांटकर सब खा जाते..
प्रशासक,भतीजे और
मंत्री मामा नहीं है कम,
देना है तो कोई रोजगार दे दो हमें भी..
जैसे भले-चंगों व दिव्यांगों को मिलता है,
फिर न मांगेंगे हम भिखारी कभी
भीख आपसे मेरे माई-बाप…॥

                                                                                        #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला हरिश्चन्द्रपुर(पूर्णियाँ) की निवासी हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।