किसी के दर्द में
अब आँसू बहाता है कौन…
अगर कोई गिर जाये तो
उठाता है कौन?
थिरकते पैरों में बांध देते हैं घुंघरू
अब जिम्मेदारियां उठाता है कौन?
माँ – बाप हुए बूढ़े –
कभी छोटे के यहाँ तो
कभी बड़े के यहाँ…
उनके दर्द को समझता है कौन?
खामोश लबों पर उदासियाँ हजार
तिल-तिल घुटते हृदयों की
आज पीड़ा महसूस करता है कौन?
बाहर से हरे -भरे चमकते – दमकते
दिखते हैं जो महल
वे अन्दर से हो चुके हैं खंडहर
पर उनकी असलियत देखता है कौन ?
प्रेम की भाषा बड़ी अनमोल
पर बोलता है कौन…
सच्ची कलम लिखती है सच-सच
पर पढ़ता है कौन?
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl