नाकाम हर बार

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sah

पर्वत की चोटी पर जाकर,
नाकाम होकर लौट आना..
दर्द की दवा ही दर्द का,
हर बार बन जाना।

कोई क्या देगा तुमको ख़ुशी,
जब मुकद्दर में हो..
हर वक्त ही लिखा,
ग़मों का बोझ उठाना।

ईमानदारी का वजूद खुद,
अंधकार में हो जब..
क्या रोशन करेगा किसी का,
राहों में यूँ दीप जलाना।

सीसे की तरह टूटकर भी,
सीखा नहीं था बिखर जाना।
हसरतों का रह-रह कर,
यूँ तड़प-तड़पकर मर जाना।

जिन्दा रहे नाकाम रहे ,
लोगों के लिए अन्जान रहे..
क्या सुकून देगा मुझको
मरने के बाद मशहूर हो जाना।

पथ भी कटीला था,
ज़ख्म बहुत गहरे थे..
मगर सीखा नहीं था मैंने,
हार थककर सो जाना।

पर इम्तहान की हद तो हो,
क्या हर बार सीखता रहूँगा मैं..
तकलीफ से लड़कर,
हदों के पार जाना।

शून्य हो जाता हूँ हर बार,
पर लड़ता रहूंगा..
क्योंकि, सीखा नहीं है मैंने..
नाकामियों से पीठ दिखाना।

ख्वाहिश चाँद बनने की नहीं थी साहब
मैंने तो सीखा है सूरज-सा जलते जाना।

                                                               #योगेन्द्र सहरावत
लेखक परिचय :लिखने के लिए मन में अच्छी कल्पना और भाव होने ज्यादा ज़रूरी होते हैं,यही परिचय है योगेन्द्र पिता यशपाल सहरावत जी का। सरधना (जिला मेरठ,उत्तर प्रदेश) निवासी श्री सहरावत मूल रुप से व्यवसाई हैं परंतु सरल लेखनी पर इनकी अच्छी पकड़ है। ज़माने की आपाधापी में कम शिक्षा हासिल करने वाले और पारिवारिक जिम्मेदारियों से लगे होने के बाद भी आप बेहद सुलझे हुए हैं । आपकी यही भावना आपकी रचनाओं का मजबूत पक्ष है कि,दूसरों की ख़ुशी में अपनी खुशी की इच्छा रखिए।

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।