Read Time1 Minute, 48 Second
आज मंदिर गया और रब से मिला,
एक दीवानगी है,मैं जब से मिला…।
कुछ भिखारी थे सीढ़ी पे बैठे हुए,
और कुछ थे सड़क पर भी लेटे हुए
जितने भी थे भिखारी,मैं सबसे मिला,
एक दीवानगी है,मैं जब से मिला….॥
भूखों को रोटियाँ बाँटकर ये लगा,
सो रहा था मैं कब से,अभी हूँ जगा
अपनी ही रूह से भी मैं तब से मिला,
एक दीवानगी है, मैं जब से मिला…॥
पंछियों को भी जब दाना-पानी दिया,
और गैय्या की सेवा का प्रण है लिया
ऐसा लगने लगा के मैं नभ से मिला,
एक दीवानगी है,मैं जब से मिला…॥
मुझको आशीष माता-पिता का मिला,
हर तरक्की को करने का मेवा मिला
कुछ पता न चला के मैं कब से मिला,
एक दीवानगी है,मैं जब से मिला…॥
आज मंदिर गया और रब से मिला,
एक दीवानगी है,मैं जब से मिला…॥
#सोनू कुमार जैन
परिचय : १९८६ में जन्मे सोनू कुमार जैन,सहारनपुर के रामपुर मनिहारान (उत्तरप्रदेश) के निवासी हैं। सहारनपुर जिले में सरकारी अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। इन्होंने बीएससी के पश्चात बीएड,एमए(अंग्रेजी साहित्य)किया और अब हिन्दी साहित्य से एमए कर रहे हैं। मुक्तक,कविता,गीत, ग़ज़ल,नज़्म इत्यादि लिखते हैं। योग विधा से भी वर्षों से जुड़े हुए हैं और मंचों से योग प्रशिक्षण एवं योग शिविर इत्यादि संचालित करते हैं।
Post Views:
517