आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ,
झाँकी हम विज्ञान की।
भारत के कण कण में समाई,
गाथा देखो विज्ञान की।
विज्ञान ने सुलझा दीं सारी,
मुश्किलें इन्सान की।
जड़ से मिटा दीं दिमाग से,
भ्रांतियाँ इंसान की।
बिना पंख हम उड़ना सीखे,
ये कृपा है विज्ञान की।
घर के हर कोने में विराजे,
माया अब विज्ञान की।
मोबाइल ,रोबोट ,कंप्यूटर,
सब देन हैं विज्ञान की।
फ्रिज,कूलर,टेलीविजन,
सब माया है विज्ञान की।
विज्ञान के दम पर है बस ,
जगमग सारे संसार की।
विद्युत बिन करो कल्पना,
क्या होगी दशा इन्सान की।
धरती के खजाने खोज दिए,
खोलीं परतें ब्रह्माण्ड की।
धरती ,सूरज ,चन्दा ,तारे,
या बात हो मंगलयान की।
आओ मिलकर जय बोलें,
नवीन ज्ञान विज्ञान की।
चरक,सुश्रुत,आर्यभट्ट,बसु,
भाभा और रमन महान की।
आने वाली पीढ़ी को हम,
सुनाएं गाथा कलाम की।
आओ हम सब करें कल्पना,
फिर से नए आयाम की।
स्वरचित
सपना (स. अ.)
प्रा.वि.-उजीतीपुर
वि.ख.-भाग्यनगर
जनपद-औरैया