अकेले ही जी लेने दो…

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aarav
मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो…
परेशान-सा हो गया हूँ तुम सबकी बातें सुन-सुनकर,
अब मुझे खुद में हँस के,खुद में ही रो लेने दो…
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे,
मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो।
नफरत-सी हो गई है मुझे अब इस दुनिया से…
मुझे मेरा गम अकेले ही पी लेने दो,
नहीं चाहिए अब तुम सबका साथ मुझे..
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
अब आंखों से आंसू भी बहना बंद हो गए हैं…
हो सके तो तुम भी मुझे थोड़ी खुशी दे दो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
अब तक तुमने मुझे जाम पिलाकर जिंदा रखा था…
अब मुझे थोड़ा-सा जहर भी पी लेने दो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
काश के तुम भी समझ पाते मेरे हाल को,
नहीं समझते तो मुझे मेरे हाल में छोड़ दो…
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे,
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
हर रोज हँस-हँसकर मारते हो मुझे…
जब साथ हो तो,कभी साथ रो भी लिया करो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ अब मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही…।
आज आँसूओं को स्याही बनाकर लिख रहा है ‘आरव’ तुम्हें…
मुझे मेरे गमों  के सहारे जिंदा रहने दो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो….॥
                                                                                                        #आरव शुक्ला
परिचय : आरव शुक्ला अभी छात्र हैं,पर कविताएँ रचने का शौक रखते हैं। इनका निवास रायपुर के सुन्दर नगर (छत्तीसगढ़) में है। केवल पंद्रह वर्ष के आरव की जिंदगी को लेकर खुली समझ इनके लेखन को प्रदर्शित करती है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।