अकेले ही जी लेने दो…

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aarav
मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो…
परेशान-सा हो गया हूँ तुम सबकी बातें सुन-सुनकर,
अब मुझे खुद में हँस के,खुद में ही रो लेने दो…
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे,
मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो।
नफरत-सी हो गई है मुझे अब इस दुनिया से…
मुझे मेरा गम अकेले ही पी लेने दो,
नहीं चाहिए अब तुम सबका साथ मुझे..
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
अब आंखों से आंसू भी बहना बंद हो गए हैं…
हो सके तो तुम भी मुझे थोड़ी खुशी दे दो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
अब तक तुमने मुझे जाम पिलाकर जिंदा रखा था…
अब मुझे थोड़ा-सा जहर भी पी लेने दो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
काश के तुम भी समझ पाते मेरे हाल को,
नहीं समझते तो मुझे मेरे हाल में छोड़ दो…
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे,
मुझे मेरा जीवन अकेले ही….।
हर रोज हँस-हँसकर मारते हो मुझे…
जब साथ हो तो,कभी साथ रो भी लिया करो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ अब मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही…।
आज आँसूओं को स्याही बनाकर लिख रहा है ‘आरव’ तुम्हें…
मुझे मेरे गमों  के सहारे जिंदा रहने दो,
नहीं चाहिए तुम सबका साथ मुझे…
मुझे मेरा जीवन अकेले ही जी लेने दो….॥
                                                                                                        #आरव शुक्ला
परिचय : आरव शुक्ला अभी छात्र हैं,पर कविताएँ रचने का शौक रखते हैं। इनका निवास रायपुर के सुन्दर नगर (छत्तीसगढ़) में है। केवल पंद्रह वर्ष के आरव की जिंदगी को लेकर खुली समझ इनके लेखन को प्रदर्शित करती है।

matruadmin

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