ढूंढने से भी नही मिली आज मैं, खुद ही खुद में मुझे!
खो दिया है खुद को देखो, क्यो इतना मैंने चाहा तुझे!!
रब्ब जाने कितने अरसे अब, मुस्कुराए मुझको हो गए!
मेरा नाम मेरा अस्तित्व देखो, सब तो तुझमें खो गए!!
बोललू अगर मैं किसी से, तू उंगली मुझ पर उठाता है!
मेरे चरित्र पर तू एक पल में, सैकड़ो दाग लगाता है!!
क्या मुझ पर भरोसा नही,या तू खुद में ही कमजोर हैं!
क्यों इतने बन्धनों का जाल, क्यों तू इतना मुंहजोर है!!
उठा दिया “मलिक” ने सर, तू औंधे मुंह गिर जाएगा!
जिस दिन जुनून सवार हुआ, तू सम्भल नही पायेगा!!
एक दिन मिल जाऊंगी, कब तक खोई रहूंगी खुद से!
मेरी कीमत उस दिन जानेगा,दूर होंगी जब मैं तुझसे!!
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।