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शीश भानु धारणं
नमामि कृष्ण साधकं
जटा गंग धारणं
कपाल नेत्र धारणं
अंग भस्म शोभतम
छाल वस्त्र धारणं
डमरू नाद शोभिते
नटराज नृत्य कर्त्यं
हस्त शूल धारणं
भुजा भुजंग शोभिते
रुद्रमाल गले धारणं
विषपान त्वं करोति
त्रिनेत्र लाल ज्योति
श्मशान रमणं करोति
बृषभ त्वं सेवकं
गणेश त्वं सुताय
कार्तिकेय त्वं पिताय
गौरी त्वं पाणि ग्रहाय
अहम नमामि
अर्ध नारी ईश्वराय
जगत पिताय
श्रावण मासे
सेवितं शिवाय।।
संध्या चतुर्वेदी
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