हिन्दी के लिए लड़ने वाले मुबंई के प्रवीण जैन ने राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय,भारत सरकार,नई दिल्ली) के सचिव को वस्तु एवं सेवा कर सम्बन्धी वेबसाइट,ऑनलाइन सेवाएँ, प्रारूप(फॉर्म), मैनुअल, विवरणी और ऑनलाइन पंजीयन आदि केवल अंग्रेजी में होने और राजभाषा की अनदेखी करने की शिकायत की हैl आपने शिकायत में कहा है कि,आज देश में आर्थिक एकीकरण के लिए वस्तु एवं सेवा कर (वसेक) लागू कर दिया गया है,पर इस कर की पूरी व्यवस्था केवल अंग्रेजी में शुरू की गई है,ताकि सीए की सेवा लिए बिना कोई भी व्यापारी इस कानून का पालन न कर सके और वह पूरी तरह सीए पर निर्भर रहे,साथ ही राजभाषा की पूर्णतः अनदेखी की गई हैl इस लोक शिकायत के मुख्य बिंदु-वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित वेबसाइट(www.gst.gov.in) केवल अंग्रेजी में बनाई गई है,वसेक के अधिनियम केवल अंग्रेजी में ही अधिसूचित किए गए हैं,वेबसाइट प्रयोग के सभी मैनुअल और प्रारूप(फॉर्म) में तैयार करके जारी किए गए हैं और वेबसाइट पर अपलोड किए गए हैं,वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित सभी प्रकार के ऑनलाइन रिटर्न केवल अंग्रेजी में तैयार किए गए हैं और उन्हें अंग्रेजी में भरना अनिवार्य है,वसेक में पंजीयन की ऑनलाइन सुविधा केवल अंग्रेजी में प्रदान की गई है और उसमें नाम,पता इत्यादि केवल अंग्रेजी में भरना ही अनिवार्य है,कोई भी व्यक्ति उसमेंहिन्दी में विवरण नहीं भर सकता है, जबकि सभी फॉर्म द्विभाषी रूप में बनाना अनिवार्य है,वसेक से संबंधित पंजीयन के प्रमाण-पत्र केवल अंग्रेजी में जारी किए जा रहे हैं,उनमें जानबूझकर राजभाषा की अनदेखी की गई हैl यह भी कहा है कि,वसेक से संबंधित सन्देश,ईमेल केवल अंग्रेजी में ही भेजे जा रहे हैं,जिन्हें आम व्यापारी न तो पढ़ सकते हैं,न समझ सकते हैं,वसेक परिषद की बैठकों में सारी कार्यवाही केवल अंग्रेजी में की गई और इन बैठकों में प्रयोग किए गए बैनर एवं मेज नामपट्ट केवल अंग्रेजी में तैयार किए गएl यह भी बताया है कि,केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की हिन्दी वेबसाइट पर `वसेक` से संबंधित कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है,अंग्रेजी वेबसाइट पर सभी प्रकार की जानकारी अंग्रेजी में डाली गई है,एक-दो दस्तावेज हिन्दी में हैं,पर उनका नाम आदि केवल अंग्रेजी में लिखा होने से उन लोगों के किसी काम के नहीं हैं,जो अंग्रेजी पढ़ना भी नहीं जानते हैंl वसेक छोटे- बड़े सभी व्यापारियों,सभी विनिर्माताओं अर्थात लगभग सभी नागरिकों पर लागू है,फिर भी इस व्यवस्था में जानबूझकर भारतीय भाषाओं की अनदेखी की गई है और आम जनता एवं आम व्यापारी पर अंग्रेजी थोपी गई हैl इससे एक बड़ी समस्या की आशंका बनी हुई है कि,कर अधिकारी अंग्रेजी में नोटिस जारी कर व्यापारियों को डर दिखा सकते हैं,यानी अंग्रेजी डराने-धमकाने का पुराना हथियार हैl चूंकि पूरी व्यवस्था अंग्रेजी में है,इसलिए आम व्यापारियों और आम जनता में `वसेक` के प्रति बहुत ही अधिक डर का माहौल हैlइस पूरी व्यवस्था में राजभाषा अधिनियम,नियम,राजभाषा के संबंध में राष्ट्रपति के आदेश एवं राजभाषा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों का खुला उल्लंघन किया गया हैl मुझे तो आश्चर्य है कि,राजभाषा विभाग के अधिकारी स्वतः संज्ञान लेकर इतने बड़े उल्लंघन पर कोई कार्रवाई भी नहीं करते हैं?निवेदन है कि,केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के उच्चाधिकारियों से सचिव स्तर की बैठक तुरंत करके और वसेक संबंधित सभी प्रकार के आवेदन,प्रमाण-पत्र,ईमेल,फॉर्म,रिटर्न,वेबसाइट,ऑनलाइन सेवाएं एवं प्रेस विज्ञप्तियां इत्यादि राजभाषा अधिनियम के अनुसार बनवाने के निर्देश जारी करेंl
(आभार-वैश्विक हिन्दी सम्मेलन)
#प्रवीण जैन