अन्तःकरण को गहराई तक
भेदती हुई चीख़..आख़िर किसकी है ?
ये चीख़ है उस अस्मिता की जो बार-बार,
कह रही है कि मत करो मुझे तार-तार
ये चीख़ है उस बेटी की जो कर रही है
एक ही प्रश्न लगातार…
कि,कब तक मैं तौली जाऊँगी
भावनाओं के तराज़ू में
कभी माँ,कभी बेटी,
बहन और पत्नी के रिश्तों के रूप में,
आख़िर कब तक मैं कुचली जाऊँगी
हर रोज़ अधखिली-सी अजन्मी….
क्या मैं जन्मदात्री नहीं?
क्यूँ समझा जाता है मुझको
सिर्फ़ अबला और बेचारी
मैं हर रोज़ टूटकर बिखरती हूँ
और रौंद दी जाती हैं मेरी भावनाएं
रस्मों-रिवाज के क़दमों तले
क्या मेरा अपना कोई अस्तित्व नहीं?
क्या इस समाज में जीने का हक़
सिर्फ़ पुरूषों का है ????
जब-जब नारी के अस्तित्व
को आँच आएगी,
तब-तब मन की वेदना
इन प्रश्नों को दुहराएगी।
#अमिता शर्मा ‘मीत‘
परिचय : अमिता शर्मा ‘मीत‘ लेखन में काफी समय से सक्रिय हैं और मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहती हैंl आपका जन्म २२ जून १९७२ में वाराणसी(उ.प्र.)का हैl आपने स्नातक मनोविज्ञान(आनर्स) में और स्नातकोत्तर समाजकार्य विषय में किया हैl साथ ही डिप्लोमा(कम्प्यूटर एप्लिकेशन) भी हैl वर्तमान कार्यक्षेत्र मानव संसाधन में सलाहकार का हैl लेखन में काव्य एवं ग़ज़ल संग्रह‘ज़िन्दगी मेरे आसपास‘ का प्रकाशन हो चुका है तो कई साझा संकलनों सहित विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपको नई दिल्ली द्वारा ‘हिन्दी सागर सम्मान-२०१६‘ एवं ‘श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान-२०१७‘ से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा ‘साहित्य तुलसी सम्मान-२०१७‘ से भी सम्मानित हैं।