विधा-पञ्चचामर छंद
भजो सदा अनादि नाम शक्ति रूप वन्दना।
हरो त्रिलोकनाथ क्लेश कष्ट दुःख क्रंदनाll
वृषांक देह नीलकण्ठ शुभ्रता उपासना।
सदा करो कृपा प्रभो करूँ अनंत अर्चनाll
त्रिशूल हाथ रुद्रदेव उग्र रूप क्यों धरे।
नमो नमामि शक्तिनाथ वंदना सदा करेंll
बिसारि भूल भक्त देव पाप ताप हो हरें।
अनंत रौद्र रूप देख दैत्य है सभी डरेंll
अनंग सर्वशक्तिमान कंठ सर्प है सजे।
त्रिनेत्र रूप माथ चंद्र गंग धार है धजेll
त्रिशूल हाथ वामअंग अम्बिकाहिये सजे।
उपासना करे अनाथ भक्त मन्त्र है भजेंll
नमामि नाथ प्रार्थना करें दया प्रभो करो।
प्रकाश पुंज ज्ञान की प्रभो भरो प्रभो भरोll
उजाड़ बाग जिंदगी पड़ा प्रभो सँवारिए।
अथाह वेदना सहें कृपालु शम्भु तारिएll
#गुंजन अग्रवाल
परिचय : गुंजन अग्रवाल लेखकीय क्षेत्र में अनहद गुंजन गूंज के नाम से जानी जाती हैंl आप हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर से हैंl