प्राकृतिक आपदाएं

0 0
Read Time2 Minute, 57 Second
sushil
-अकाल
सूखता जिस्म,
धरती की दरारें
हत चेतन।
झुलसी दूब,
पानी को निहारते
सूखे नयन।
ठूंठ से वृक्ष,
झरते हैं परिंदे
पत्तों के जैसे।
गिद्ध की आंखें,
जमीन पर बिछीं
वीभत्स लाशें।
-बाढ़
एक सैलाब,
बहाकर ले गया
सारे सपने।
उफनी नदी,
डूबते उतराते
सारे कचरे।
मन की बाढ़,
शरीर में भूकंप
कौन बचाए।
-तूफान
उठा तूफान,
दिल के घरोंदे को
उड़ा ले गया।
तेज तूफान,
दोहरे होते वृक्ष
उखड़े नहीं।
-आंधी
मन की आंधी,
कल्पना के बादल
बरसा प्रेम।
प्रेम की आंधी,
उड़ाकर ले जाती
मन की गर्द।
-प्रलय
प्रलय पल,
दे रहा है दस्तक
झुके मस्तक।
सात सागर,
मिलेंगे परस्पर
प्रलय मीत।
प्राण कंपित,
मृत्यु महासंगीत
प्रलय गीत।
धरा अम्बर,
प्रणय परस्पर
प्रलय संग।
-भूकंप
भूचाल आया,
सब डगमगाया
ध्वस्त धरती।
कुछ पल,
मानव विकास का
टूटा घमंड।
घमंड तनी,
उतुंग इमारतें
धूल में मिलीं।
जिंदा दफन,
कितने बेगुनाह
सिर्फ कराह।
-सुनामी
एक सुनामी,
दानव समंदर
खूनी मंजर।
समुद्र तट,
सुनामी का श्मशान
सर्वत्र मृत्यु।
तमाम लाशें,
तटों पर बिखरीं
नोंचते गिद्ध।
-ज्वालामुखी
मन भीतर,
सुलगा ज्वालामुखी
क्रोध का लावा।
धुएं की गर्द,
बहता हुआ लावा
मौत का सांप॥

                                                                                            #सुशील शर्मा

परिचय : सुशील कुमार शर्मा की संप्रति शासकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय(गाडरवारा,मध्यप्रदेश)में वरिष्ठ अध्यापक (अंग्रेजी) की है।जिला नरसिंहपुर के गाडरवारा में बसे हुए श्री शर्मा ने एम.टेक.और एम.ए. की पढ़ाई की है। साहित्य से आपका इतना नाता है कि,५ पुस्तकें प्रकाशित(गीत विप्लव,विज्ञान के आलेख,दरकती संवेदनाएं,सामाजिक सरोकार और कोरे पन्ने होने वाली हैं। आपकी साहित्यिक यात्रा के तहत देश-विदेश की विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में करीब ८०० रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। इंटरनेशनल रिसर्च जनरल में भी रचनाओं का प्रकाशन हुआ है।
पुरस्कार व सम्मान के रुप में विपिन जोशी राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान ‘द्रोणाचार्य सम्मान-२०१२’, सद्भावना सम्मान २००७,रचना रजत प्रतिभा

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

चीन को चेतावनी

Sat Jul 1 , 2017
     एक जमाना था;भारत को सुपर कम्प्यूटर नहीं दिया गया था। एक जमाना था;भारत के प्रधानी की बात को निर्लक्षित किया जाता था। भारतीयों को गुलाम,पिछड़ा वर्ग के रूप में देखा जाता था।      भारत अब बदल गया है। जो भारतियों को सुपरपर कम्प्यूटर नहीं दिया करते थे,जो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।