मकर  से ऋतुराज बसंत

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babulal sharma
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सूरज जाए मकर में,तिल तिल बढ़ती धूप।
फसले सधवा नारि का, बढ़ता जाए  रूप।।
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पशुधन कीट पतंग भी, नवजीवन सब पाय।
वन्य पशू पौधे सभी,कली कली खिल जाय।।
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तितली भँवरे मोर पिक, करते  हैं  मनुहार।
ऋतु बसंत के आगमन,स्वागत करते द्वार।।
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मानस बदले वसन ज्यों,द्रुम दल बदले पात।
ऋतु राजा जल्दी करो, जिससे  सुधरे बात।।
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शीत उतर राहत मिले,होवें शुभ सब काज।
उम्मीदें  ऋतुराज  से, करते हैं  सब  आज।।
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ऋतु राजा भी आ रहे,अब तो आओ कंत।
विरहा  के  मनराज हो ,मेरे  मनज  बसंत।।
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रथी उत्तरायण चला, अब  तो प्रिय रविराज।
प्रिय मिलन को बावरी,पाती लिखती आज।।
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प्रियतम आओ तो प्रिये,ऋतु बसंत के साथ।
सत फेरों  की  याद  कर, वैसे  पकड़ें  हाथ।।
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कंचन निपजे देश में,स्वर्ण चिड़ी कहलाय।
चाँदी सी  धरती तजी, परदेशी  कहलाय।।
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आजा प्रियतम देश में,खूब मने सकरात।
माटी अपने  देश की, याद करे दिन रात।।
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प्रीतम तिल तिल जोड़ गिन,लड्डू रही बनाय
बाँट  निहारूँ  साँवरे, कौन  पंथ  आ  जाय।।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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