.
सूरज जाए मकर में,तिल तिल बढ़ती धूप।
फसले सधवा नारि का, बढ़ता जाए रूप।।
.
पशुधन कीट पतंग भी, नवजीवन सब पाय।
वन्य पशू पौधे सभी,कली कली खिल जाय।।
.
तितली भँवरे मोर पिक, करते हैं मनुहार।
ऋतु बसंत के आगमन,स्वागत करते द्वार।।
.
मानस बदले वसन ज्यों,द्रुम दल बदले पात।
ऋतु राजा जल्दी करो, जिससे सुधरे बात।।
.
शीत उतर राहत मिले,होवें शुभ सब काज।
उम्मीदें ऋतुराज से, करते हैं सब आज।।
.
ऋतु राजा भी आ रहे,अब तो आओ कंत।
विरहा के मनराज हो ,मेरे मनज बसंत।।
.
रथी उत्तरायण चला, अब तो प्रिय रविराज।
प्रिय मिलन को बावरी,पाती लिखती आज।।
.
प्रियतम आओ तो प्रिये,ऋतु बसंत के साथ।
सत फेरों की याद कर, वैसे पकड़ें हाथ।।
.
कंचन निपजे देश में,स्वर्ण चिड़ी कहलाय।
चाँदी सी धरती तजी, परदेशी कहलाय।।
.
आजा प्रियतम देश में,खूब मने सकरात।
माटी अपने देश की, याद करे दिन रात।।
.
प्रीतम तिल तिल जोड़ गिन,लड्डू रही बनाय
बाँट निहारूँ साँवरे, कौन पंथ आ जाय।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः