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सुमरूं बारंबार शारदे है मांई,
आन विराजो कंठ शारदे हे मांई।
सुमरूं हूं मैं उस ईश्वर को,
जिसने रचा संसार शारदे हे मांई।
सुमरूं बारंबार शारदे हे मांई..॥
सुमरूं हूं मैं मां माटी को,
जहां उगे अन्न धान शारदे हे मांई।
सुमरूं बारंबार……..
सुमरू हूं नित मात-पिता को,
दिया जिन्होंने जन्म शारदे हे मांई।
सुमरूं बारंबार…….
शीश नवाऊं उन गुरूओं को
दिया जिन्होंने ज्ञान शारदे हे मांई।
सुमरूं बारंबार ………
पास रहे मेरे सभी कुटम्बी
सुख दुख के जो संगी शारदे हे मांई।
सुमरूं बारंबार ……………
बिसराओं न उन मित्रों को,
कदम-कदम सहयोग शारदे हे मांई।
सुमरूं बारंबार शारदे हे मांई।
आन विराजो कंठ शारदे हे मांई।
#राजबाला ‘धैर्य’
परिचय : राजबाला ‘धैर्य’ पिता रामसिंह आजाद का निवास उत्तर प्रदेश के बरेली में है। 1976 में जन्म के बाद आपने एमए,बीएड सहित बीटीसी और नेट की शिक्षा हासिल की है। आपकी लेखन विधाओं में गीत,गजल,कहानी,मुक्तक आदि हैं। आप विशेष रुप से बाल साहित्य रचती हैं। प्रकाशित कृतियां -‘हे केदार ! सब बेजार, प्रकृति की गाथा’ आपकी हैं तो प्रधान सम्पादक के रुप में बाल पत्रिका से जुड़ी हुई हैं।आप शिक्षक के तौर पर बरेली की गंगानगर कालोनी (उ.प्र.) में कार्यरत हैं।
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